एंकर फीमेल-  आज की इस मधुर बेला में, मैं आप सबका पंक्तिमय अभिवादन करके आज के कार्यक्रम को आरम्भ करना चाहती हूँ कि- चांदनी चांद से मिलती है, तो रौशन ज़माल करती है खुशी से खुशी मिले, तो ख़्वाहिश कमाल करती है ये विद्वता के नूर की, रौनके महफ़िल है मेरे