ग़ज़ल आसमां है ना जमीं है पूछते हो क्या कमी है रात भर रोया है कोई धूप कम ज्यादा नमी है फूल तितली खुश्बुयें हैं सब तो है बस तू नहीं है नूर बूँदों में बरसता तू जहाँ ज़न्नत वहीँ है कैसे उसके ऐब देखूं खूबियां ज्यादा कहीं है लौट आ मुझे माफ़ कर दे