Tag: तकरार की ग़ज़ल

तड़पते दिल की दो मोहक ग़ज़लें । रोमांटिक ग़ज़ल । इश्क़ मोहब्बत में तड़प की ग़ज़लें । Love Gazal

ग़ज़ल-बदमाश मेरा हाल क्या है न पूछिये ये न ख़ास था ये न ख़ास है दिल कल भी था यूँ ग़मज़दा और आज भी ये उदास है। यूँ तमाशा होता है रात दिन मेरी हसरतों का न पूछिये गोया रहनुमा हो बहार का जिसे खुश्बुओं की तलाश है। ये नज़ारे चाँद धनुक घटा तेरा नूर

ग़ज़ल-बेशरम। Gazal-Besharam । तक़रार की ग़ज़ल । रुसवाई की ग़ज़ल । अलगाव की ग़ज़ल । एक प्यारी सी ग़ज़ल

ग़ज़ल-बेशरम : मोहब्बत में रुसवाई हो जाती है, लड़ाई हो जाती है, अलहदगी तक भी हो जाती है लेकिन बेशरम दिल का क्या करें, याद उसी बेमुरब्बत को करता है जिसने दिल को दर्द दिया है। इसीलिये शायद कहा जाता है कि दिल है कि मानता नहीँ। इस आर्टिकल में प्रस्तुत ग़ज़ल-बेशरम में ऐसे ही अलहदगी