बारह भावना राजा राणा छत्रपति, हाथिन के असवार । मरना सब को एक दिन, अपनी-अपनी बार ॥ दल बल देवी देवता, मात-पिता परिवार । मरती बिरिया जीव को, कोऊ न राखन हार ॥ दाम बिना निर्धन दुखी, तृष्णा वश धनवान । कबहूँ न सुख संसार