जाने-अनजाने में मैंने अपने शब्दों से या व्यवहार से आपके निर्मल मन को कभी आहत किया हो-ठेस पहुंचायी हो तो मुझे नादान समझ कर क्षमा करें। —————————– एक मानव होने के नाते हम सब कहीँ ना नहीँ-कभी ना कभी अहम्, द्वेष, अहंकार, दुश्मनी, वैमनस्य जैसे मानवीय अवगुणों से चाहे अनचाहे ग्रसित हो