घोर अमावस रात में, नीरवता इतराय वैसे ही अज्ञान में, कुमति पुष्ट हो जाय। मति है नीरज तुल्य ये जानो, ह्रदय पात्र सम है ये मानो जैसा इसमें द्रव्य मिलाओ, जस का तस परभाव विचारो। नीम मिलाओ कड़वा पानी, कर्कशता ना जाय बखानी घोलो इसमें शहद चासनी, सरस मधुरतम होवे प्राणी।। घोला