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लव गजल हिंदी में – कवि अमित मौलिक की 3 बेहद ख़ूबसूरत गजलें

लव गजल हिंदी में – उड़ती बात के सभी प्रशंसकों को कवि अमित मौलिक का सादर प्रणाम। दोस्तों, आज फिर इस नये आर्टीकल लव गजल हिंदी में के माध्यम से आप सबके समक्ष कुछ गजलें लेकर हाज़िर हूँ। मेरी लिखी इन 3 ग़ज़लों में आपको मेरी कलम का तल्ख़ मिज़ाज़ पढ़ने को मिलेगा। कोई मिसरा

रोमांटिक गजलें – दिल में गुलकंद घोलती 3 दिलकश ग़ज़लें, लव ग़ज़ल

रोमांटिक गजलें – दोस्तों, आप सबके सामने पेश है अलग-अलग मिज़ाज़ की 3 खूबसूरत ग़ज़लें। काफ़ी वक़्त के बाद मैंने गजलें लिखीं हैं। रोमांटिक गजलें लिखने के लिये एक अलग ही मिज़ाज की ज़रूरत होती है। मेरे लिये यह इतना आसान कभी नहीं रहा। कभी किसी की बेहतरीन ग़ज़ल पढ़ने-सुनने में आ जाती है तो

प्यार में भीगी दो शानदार ग़ज़लें । Love Gazal । ग़ज़ल । प्यार मोहब्बत की ग़ज़लें

ग़ज़ल-नवाज़िश नींद में चांद चल रहा होगा।। ख़्वाब कोई मचल रहा होगा। हूक़ उठती है दिल लरज़ता है कोई कहके बदल रहा होगा। वो हवाओं से बैर क्यों लेगा जो चिरागों सा जल रहा होगा। आँख नींदों से भर गया कोई ख़्वाब नैनों में मल रहा होगा। आप आये बड़ी नवाज़िश है आपका दिल पिघल

तड़पते दिल की दो मोहक ग़ज़लें । रोमांटिक ग़ज़ल । इश्क़ मोहब्बत में तड़प की ग़ज़लें । Love Gazal

ग़ज़ल-बदमाश मेरा हाल क्या है न पूछिये ये न ख़ास था ये न ख़ास है दिल कल भी था यूँ ग़मज़दा और आज भी ये उदास है। यूँ तमाशा होता है रात दिन मेरी हसरतों का न पूछिये गोया रहनुमा हो बहार का जिसे खुश्बुओं की तलाश है। ये नज़ारे चाँद धनुक घटा तेरा नूर

Love Gazals । दो रोमांटिक गज़लों की श्रृंखला । मोहब्बत से भरी दो गज़लें।

            । ग़ज़ल-दर्द । प्यार अगर सच्चा हो जाये, दर्द तो होता है। सब कुछ जब अच्छा हो जाये, दर्द तो होता है। घूंघट अगर उठा लेता मैं, चांद हमारा होता ख़्वाब अगर किस्सा हो जाये, दर्द तो होता है।   ये भी पढें-ग़ज़ल ‘बेशरम’ ये भी पढें-ग़ज़ल ‘कतरनें’   तुझमें

ग़ज़ल-बेशरम। Gazal-Besharam । तक़रार की ग़ज़ल । रुसवाई की ग़ज़ल । अलगाव की ग़ज़ल । एक प्यारी सी ग़ज़ल

ग़ज़ल-बेशरम : मोहब्बत में रुसवाई हो जाती है, लड़ाई हो जाती है, अलहदगी तक भी हो जाती है लेकिन बेशरम दिल का क्या करें, याद उसी बेमुरब्बत को करता है जिसने दिल को दर्द दिया है। इसीलिये शायद कहा जाता है कि दिल है कि मानता नहीँ। इस आर्टिकल में प्रस्तुत ग़ज़ल-बेशरम में ऐसे ही अलहदगी

ग़ज़ल ‘रंगत’/Gazal ‘Rangat’

ग़ज़ल तेरे रुख़सार की रंगत गुलाब देखेंगे  छलकता नूर सुबह शाम आब देखेंगे    इक यही ख्वाब है दीदार तेरा हो जाये  हमें हक है कि हम भी माहताब देखेंगे   मैं जिद भी करता हूँ तो एक बार करता हूँ  तुम्हे मिलता या हमें आफ़ताब देखेंगे  हमारे इश्क को ‘मौलिक’ मजाक ना समझो  वो हम ही