Kahani Bhram – कहानी भ्रम, एक ऐसी कहानी जो सोचने पर मज़बूर कर देगी

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‘यह बात अलग है किसी पर ज्यादा… किसी पर कम मेहनत करनी पड़ती है। समय डालो गिफ्ट लाके दो, चोरी-छिपे घुमने ले कर जाओ, पहले रुपया-पैसा खर्च करो। जब चिड़िया पूरी तरह मेरे बिछाये जाल में फंस जाती है फिर मैं सूद के साथ बसूलता हूँ।’

‘बस ये तेरी शक्ल थोड़ी बिगड़ गई है, दो दिनों में ठीक हो जायेगी। मेरी एक पार्टी से एडवान्स बुकिंग हो चुकी है, वो तेरा दीदार करने के लिए उतावला है।’ उसका प्रेमी ज़हर बुझे स्वर में बोलता गया।

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संध्या के पति ने उसे अपने से और बच्चों से हमेशा – हमेशा के लिए दूर कर दिया कि मैं तुझ जैसी चरित्रहीन औरत के साथ एक पल नहीं रह सकता हूँ, न ही तेरी गंदी छाया अपने बच्चों पर पड़ने दूँगा ।,

‘जा किसी नदी नाले में जा कर अपनी जान दे दे।’

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सिया कुछ जरुरी काम से मार्केट जाने के लिए पर्स और घर की चाबियां हाथ में संभालती गेट खोला तो, सामने से अपनी पड़ौसन नीलू को कॉलवेल पर हाथ रखते देखा।

‘अरे वाह भाभी यह तो अपने बिल्कुल बागवान पिक्चर के हेमामालनी की तरह स्वागत किया है। कहीं जाने की तैयारी में लग रही हो भाभी ?

‘हाँ नीलू, मार्केट से कुछ जरूरी समान लाना था सिया ने कहा।’ सिया ने उसे टालने वाले स्वर में कहा।

‘अरे भाभी एक चटपटी खबर सुनोगी ना तो सब जरूरी समान लाना भूल जाओगी।’ नीलू फिर बम फोड़ने की तैयारी में दिख रही थी।

सिया आश्चर्य से ‘क्या हुआ अब ऐसा ?’

‘अरे भाभी तुम्हें तो कुछ पता ही नहीं होता है कि हमारे आस-पास में क्या चल रहा है? नीलू उसे दुनियादारी सिखाने के स्वर में बोली।

‘शौर्या वापिस आ गई है।’ नीलू ने बम फोड़ ही दिया।

‘सिया एकदम दंग हो कर बोली ‘तो क्या शीर्ष साहब ने शौर्या को अपना लिया है।’

‘हाँ भाभी, कलावती, वही बाई जो जज साहब के घर काम करती है, मैं आप को बताना ही भूल गई, वही बाई पिछले एक महीने से मेरे घर की भी साफ़-सफाई का काम कर रही है।’

‘उसी ने तो मुझे सब कुछ बताया है, सुबह-सुबह जज साहब अपने बच्चे को सीने से लगाये उसे रोने से चुप कराने की पूरी कोशिश कर रहे थे।’

‘उस एक वर्ष के बच्चें का बिना माँ के रो-रो कर बुरा हल हो चुका था, और पत्नी के धोखे से जज साहब पूरी तरह टूट चुके थे।’

अचानक से पत्नी को वापिस आया देख कर एक क्षण के लिए तो वह दंग रह गए।

शौर्या भी डरी-सहमी सी और आंखों से गिरते मौन आँसू को लिए, शीर्ष साहब के सामने खड़ी हो गई। शीर्ष की प्रतिक्रिया जानने की प्रतिक्षा में, कुछ क्षणों के बाद शीर्ष बच्चें को अपने सीने से लगाये, वहीं सोफे से खड़े हो कर अपनी दूसरी बांह फैला देते हैं।

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