लव गजल हिंदी में – उड़ती बात के सभी प्रशंसकों को कवि अमित मौलिक का सादर प्रणाम। दोस्तों, आज फिर इस नये आर्टीकल लव गजल हिंदी में के माध्यम से आप सबके समक्ष कुछ गजलें लेकर हाज़िर हूँ। मेरी लिखी इन 3 ग़ज़लों में आपको मेरी कलम का तल्ख़ मिज़ाज़ पढ़ने को मिलेगा। कोई मिसरा
रोमांटिक गजलें – दोस्तों, आप सबके सामने पेश है अलग-अलग मिज़ाज़ की 3 खूबसूरत ग़ज़लें। काफ़ी वक़्त के बाद मैंने गजलें लिखीं हैं। रोमांटिक गजलें लिखने के लिये एक अलग ही मिज़ाज की ज़रूरत होती है। मेरे लिये यह इतना आसान कभी नहीं रहा। कभी किसी की बेहतरीन ग़ज़ल पढ़ने-सुनने में आ जाती है तो
रोमांटिक ग़ज़ल – सुनिये मेरी आवाज में मेरी ही लिखी एक बेहद दिलकश ग़ज़ल । रोमांस से भरी यह ग़ज़ल आपके दिल को मोहब्बत और प्यार के एहसास से तरबतर कर देगी। कृपया पूरा वीडियो ज़रूर देखें। इस ग़ज़ल का हर एक शेर बेमिसाल है। मेरा दावा है कि आप इसे शेयर किये बिना नहीं
माँ पर ग़ज़ल – माँ पर दो बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़लें जो आपकी आँखों मे नमीं ला देगी। मदर्स डे पर माँ को समर्पित मेरी ये दो ग़ज़लें माँ की विराट शख्सियत को दर्शाने में कितनी सक्षम हैं यह तो आपकी प्रतिक्रिया से ही पता चलेगा। आशा करता हूँ कि यह आर्टीकल माँ पर ग़ज़ल आपको
रोमांटिक लव ग़ज़ल – पढ़िये इश्क़ और तकरार से लबरेज़ दो शानदार रोमांटिक लव ग़ज़लें। आपकी प्रतिक्रिया और सुझाव आमंत्रित हैं- रोमांटिक ग़ज़ल – आज रहने दो मिलेगा तुमको हर ज़बाब, आज रहने दो करेंगें फिर कभी हिसाब, आज रहने दो। नक़ाब नोंचकर सबको, यहीं दिखाऊँगा शहर में कौन है ख़राब, आज रहने दो। फिर
Love Gazals – पढ़िये मोहब्ब्त के खट्टे मीठे रंगों की दो ग़ज़लें। हमें आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा- रोमांटिक ग़ज़ल-इंतज़ाम वक़्त लगेगा आसमान से जायेगा महज़ धुँवा है ये भी काम से जायेगा। नुस्ख़ा मुस्खा दवा दुआ करते रहना दर्द पुराना है आराम से जायेगा। ज्यादा की उम्मीद पालकर मत चलना वरना ये भी इंतज़ाम
माँ पर ग़ज़ल – दोस्तो, आपके सामने प्रस्तुत है माँ पर दो ऐसी ग़ज़लें जिन्हें पढ़कर आप वाह किये बिना नहीं रहेंगें। माँ पर ग़ज़ल-माँ का मुक़द्दर ज़न्नत वहीं दिखती है जहाँ घर होता है। माँ जब ख़ुश होती है तो असर होता है। माँ आँखे खोलती है तो रौशनी होती है अंधेरा रोज मेरे
Love Gazals Romantic gazals – आपके सामने प्रस्तुत हैं लव और रोमांस से लबरेज़ दो शानदार ग़ज़लें। पसंद आयें तो प्रतिक्रिया दीजियेगा और शेयर कीजियेगा- रोमांटिक ग़ज़ल -शुरुआत फिर से हो एक शुरुआत कोई बात बने ख़्वाब में रोज़ मुलाकात कोई बात बने। खुले गेसु खुली आँखे खुले इरादे हों मुख़्तसर बहके हों जज़्बात कोई
ग़ज़ल-प्यादा मेरी उजरत कम, तेरी ज़रूरत ज्यादा है ऐ ज़िंदगी कुछ तो बता, तेरा क्या इरादा है। दांव पर ईमान लगाकर, तरक़्क़ी कर लेना आज के दौर का, फ़लसफ़ा सीधा सादा है। हड़बड़ी में दिख रहा, ख्वाहिशों का समंदर लहरों में उफान है, आसमां पे चाँद आधा है। ऐ जम्हूरियत तू भी, अब पहले जैसी
ग़ज़ल-कश्मीर उन्हें इतनी शिकायत है, कि सब उनको नहीं देता मेरे हिस्से का मेरा आसमां, उनको नहीं देता। यही अंदाज़ है मेरा, नज़र अंदाज़ करता हूँ जो नामाकूल हैं उनको, तवज़्ज़ो मैं नही देता। नज़र मुझसे बचाकर चल दिये हो, याद भी रखना मुक़द्दर एक सा हर दिन, ख़ुदा सबको नहीं देता। हिसाबी मुआमला था