Category: सामाजिक कवितायें

कविता-रक्त दान। Kavita raktdaan । रक्तदान दिवस पर कविता। रक्तदान महादान पर कविता।

दुनियाँ के समस्त रक्त दान करने वाले देवदूतों को समर्पित रक्त अर्चना करने वालो, हे मतवालो तुम्हें प्रणाम जीवन दाता रक्त प्रदाता, रचने वालो तुम्हें प्रणाम। किसको है परवाह यहाँ पर, उमरा बीती जाती है मतलब स्वार्थ परस्ती खातिर, दुनिया जीती जाती है। ये भी पढ़ें: स्वच्छ भारत अभियान पर कविता ये भी पढ़ें: कविता जल बचाओ कल

पानी पर हाहाकारी कविता। कविता-जल बचाओ जीवन बचाओ । Kavita -Jal bachao jeevan bachao

  कोई तो नई कहानी कर दो, कोई तो अलख जलाओ आओ आओ सब मिल आओ, मिलकर नीर बचाओ। बूँद नहीँ है यह अमृत है, ऐसे नहीँ बहाओ आओ आओ सब मिल आओ, मिलकर नीर बचाओ । जैसे स्वांस बिना है दुष्कर, जी ना सका कोई ना वैसे ही आसान नहीँ है, जल बिन जीवन

कविता-कल की खातिर/kavita-kal Ki khatir

अनगढ़ सपनों की खातिर  सुख चैन झोंकते जाते हो  कल की खातिर वर्तमान का  गला घोंटते जाते हो!     जो बीता बो बृस्मित कर दो  याद ना करना मत ढोना  चाहे बिष था या अमृत था  ना खुश होना-ना रोना  इक इक पल का लुफ़्त उठाओ  यह क्षण लौट ना आयेगा  आज जिसे तुम