26 जनवरी मंच संचालन स्क्रिप्ट 2018 – गणतंत्र दिवस मंच संचालन स्क्रिप्ट, Republic day Anchoring script in hindi
चाहे जो हो धर्म तुम्हारा, चाहे जो वादी हो
नहीं जी रहे अगर देश के, लिए तो अपराधी हो
भले विचारों में कितना ही, अंतर बुनियादी हो
नहीं जी रहे अगर देश के लिए, तो अपराधी हो ।
(प्रस्तुति का समापन)
वाह वाह वाह। अद्भुत अद्भुत। जोरदार तालियाँ इस शानदार प्रस्तुति के लिये।
दोस्तों, अब वक्त बदल गया है। आज देशभक्ति के मायने बदल गये हैं। अब माँ भारती शहादत नहीं मांगती है। अब देश आपसे बलिदान नहीं मांगता है। अब तो मज़ा देश के लिये जीने में है। अब देश को दुनिया में सर्वोच्च स्थान पर पहुंचाना है। ख़ूब मेहनत करना है। इसी आह्वान के साथ पूर्व प्रधानमंत्री प्रसिद्ध कवि माननीय अटल विहारी बाजपेयी जी की दो पंक्तियों के साथ आपको अगली प्रस्तुति तक लेके जाऊँगी कि..
दांव पर सब कुछ लगा है, रुक नहीं सकते
टूट तो सकते हैं मगर, झुक नहीं सकते।
एक बार परम् श्रद्धेय सच्चे देशभक्त अटलविहारी बाजपेयी जी के लिये तालियाँ बजा दीजिये। धन्यबाद। तो अगली सांस्कृतिक प्रस्तुति में हमारे साथी स्टूडेंट्स आपको एक नृत्यनाटिका के द्वारा आज़ादी के बाद की 70 बर्ष की यात्रा की झलकियाँ पेश करेंगें जिससे हम सब युवाओं को ये एहसास हो कि हम कहाँ थे और कहाँ आये हैं और कहाँ पहुंचने का सपना देखते हैं। इस प्रस्तुति को आपके सामने लेकर आ रहे हैं 1……,2…….,3…….,4…….,5……..,6……,7……..,8…….
तो चलिये चलते हैं इस देश की तरक्की की यात्रा पर..
(प्रस्तुति का समापन)
शानदार! शानदार! शानदार! जोरदार तालियाँ। (रुककर) देखिये ईमानदारी से कहूँ तो जितनी अच्छी प्रस्तुति थी उतनी शानदार वाहवाही नहीं थी। दोस्तों ये हमारे साथी हैं जिन्होंने हफ्तों की अथक मेहनत के बाद ये प्रस्तुतियां तैयार की हैं। इनकी शानदार हौसलाअफजाई कीजिये जिससे इनका मनोबल बढ़े और अगले उत्सव में ये सब साथी कलाकार इस उत्सव को इससे भी ऊंचा standard प्रदान कर सकें। ( पुनः तालियाँ बजती हैं) अभी भी तालियों में वो बात नहीं आई, पंक्तियाँ कहती हूँ कि…
कोई पेशेवर कलाकार नही हैं,
फिर भी समर्पित कितने हैं।
इनके लिये खूब तालियाँ बजाइये,
क्योंकि ये तो हमारे अपने हैं।
(ज़ोरदार तालियाँ बजती हैं) धन्यवाद। ये हुई ना बात। तो चलिये कार्यक्रम को अगले पड़ाव पर लेके चलते हैं। दोस्तों, हमारे देश में कश्मीर से कन्याकुमारी तक अनेकों भाषायें, अनेकों परिवेश और संस्कृतियां मिलती हैं लेकिन जब देश की बात आती है तो हम सब गर्व से कहते हैं कि सबसे पहले हम हिंदुस्तानी हैं। अनेकता में एकता का विश्ववंदनीय उदाहरण केवल और केवल भारत मे ही देखने को मिलता है। अगली प्रस्तुति इसी विषय को लेकर है जिसमें आपको हमारे देश की विभिन्न संस्कृतियों का मनमोहक दर्शन होगा। मैं 1…..,2……,3……,4…….,5…….,6…….,7……,8……..,9…….,10……,11……,12……को मंच पर उनकी प्रस्तुति के लिये इन पंक्तियों के साथ आमंत्रित करती हूँ कि..
यह चमन बड़ा अलबेला है, नित त्योहारों का मेला है
हैं भेष अलग परिवेश अलग, भाषा का बड़ा झमेला है
सबके हैं अपने धर्म यहाँ, लेकिन सब भारत वासी हैं
ऐसा अद्भुत इस दुनिया में, बस हिंदुस्तान अकेला है।
ज़ोरदार तालियाँ इस प्रस्तुति के लिये। बहुत ख़ूब। वाह वाह। हमें गर्व है अपने अलबेले देश पर और साथ ही अपने कॉलेज के कलाकार साथियों पर। साथियों, स्वाधीनता संग्राम में हमारे वतन के अनगिनत शहीदों ने अपना बलिदान दिया है। लेकिन हमें कुछ ही गिने चुने नायकों का नाम जैसे कि शहीद भगत सिंह जी, शहीद चंद्रशेखर आज़ाद जी, शहीद सुभाषचंद्र बोस जी, रानी लक्ष्मीबाई जी, शहीद बिस्मिल जी जैसे तकरीबन 15-20 नायक ही याद होंगें। आप को मेरी बात पर भरोसा ना हो तो आप याद करके देख लीजिये, ज्यादा से ज्यादा 15-20 शहीदों के नाम ही याद कर पायेंगे। मैं कहना यह चाहती हूँ कि आज़ादी की जंग में हज़ारों हज़ार शहीदों ने आंचलिक स्तर पर अपनी कुर्बानियां दीं हैं लेकिन याद चंद ही हैं क्यों??
मैं आपको बताना चाहती हूँ कि जालंधर में ‘देश भगत यादगार कमेटी’ की ओर से ‘भगत सिंह यादगार हॉल’ में एक ऐसा संग्रहालय स्थापित किया है, जिसमें सन 1857 से लेकर 1947 तक के शहीदों की शहादत को, उपलब्ध विवरण और तस्वीरों के साथ सहेजा गया है।
साथियों, देश की आज़ादी में सब शहीदों का योगदान है इसलिये सबका उतना ही महत्व है। सबको बराबर श्रेय है। हम सबके ऋणी हैं। आप सबसे अनुरोध है कि उन सबके बारे में जानकारी जुटायें, ख़ुद पहचानें और बच्चों को बतायें, जिससे उनकी कुर्बानियों को आने वाली नस्लें जानें, उनकी कृतज्ञ रहें। जब आप जानेंगें-समझेंगें तभी बच्चे जानेंगें। और जब जान लेंगें तो जो गीत अब सामने प्रस्तुत होने जा रहा है, उसे सुनकर कर आपकी आँखें रो देंगीं। यह वही गीत है जिसे देश के प्रथम आज़ादी के जश्न में लता जी ने गाया था और जिसे सुनकर के पूरा देश रो पड़ा था। वो गीत है….
ऐ मेरे वतन के लोगो, ज़रा आँख में भर लो पानी
जो शहीद हुये हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी।
इस गीत को लेकर आपको रुलाने आ रही हैं हमारे कॉलेज की लता मंगेशकर …….. तो चलिये सुनते हैं इस गीत को।
बहुत ही मार्मिक गीत है, ज़ोरदार तालियाँ इस भावभीनी प्रस्तुति के लिये। मैं इन पंक्तियों के साथ देश पर जान न्यौछावर कर देने वाले शहीदों को नमन करती हूँ कि..
सौ जन्म अगर हम लेलें पर, उपकार चुका ना पायेंगे
उस वक़्त लड़े थे तुम सब हम, अब के प्रहरी बन जायेंगे
हम कसम उठाते हैं सुन लो, फिर दुश्मन ने ललकारा तो
हम अपना शीश चढा करके, यह हिंदुस्तान बचायेंगे।
प्रस्तुति के पहले मैं आपसे बात कर रही थी स्वाधीनता संग्राम में ना जाने कितने सहस्त्र माँ भारती के जाबांजों ने अपनी जन्मभूमि की आन बान शान को अक्षुण्ण रखने के लिये अंग्रेजों से लौहमर्षक संघर्ष किया और कुर्बान हो गये। उनके बलिदान को भुलाया नहीं जाना चाहिये। हम उन शहीदों के कृतज्ञ हैं। अगली प्रस्तुति जो कि एक short play है, में ऐसे ही एक भारत माँ के लाल की दास्तान है जिनका नाम उदमीराम था। सन 1857 की बात है, उदमीराम जी, हरियाणा में सोनीपत जिले के गांव लिबासपुर में नम्बरदार थे।
अंग्रेजों की दमनकारी नीति के विरुद्ध आवाज़ उठाने पर उदमीराम जी और उनकी पत्नी को अंग्रेजों ने 35 दिनों तक पेड़ पर कीलों से ठोककर रखा था। प्यास लगने पर मूत्र पिलाया जाता था। रूह को थर्रा देने वाली यातनाओं के बाद भी इस शहीद ने अंग्रेजों के सामने अपना सर नहीं झुकाया था।
इनके साथियों को पत्थर के कोल्हू तले पीस दिया गया था, इनके पिता को तड़पा कर मार डाला गया था। इतना ही नहीं पूरे गाँव को बेहरहमी से पीटा गया था। ऐसे हज़ारों हज़ार शहीदों की शहादतों से इतिहास भरा पड़ा है। हमारा कर्तव्य है कि हम उन्हें जाने समझें सहेजें और नई पीढ़ियों को उनके बलिदान के बारे बतायें। यही हमारी श्रधांजलि है, यही हमारी देशभक्ति है।
मैं आपसे नम आँखों से निवेदन करतीं हूँ कि अमर शहीद उदमीराम जी एवम उनके शहीद साथियों के लिये ज़ोरदार तालियाँ बजा दीजिये। धन्यवाद। तो आइये देखते हैं शहीद उदमीराम की शहादत को सजीव करती इस नाट्य प्रस्तुति को जिसे प्रस्तुत कर रहे हैं 1…..,2……,3……,4…….,5…….,6…….,7……,
9…….,10……,11……, मैं इन पंक्तियों के साथ प्रस्तुति को पेश करती हूँ कि..
उबल उठे ना जो, वो खून नहीं पानी है
फड़क उठें ना जो बाहें, ग़लत निशानी है
वतन की आबरू पे, बात जब भी आती है
जो सर कटा दे वही, हिन्द की ज़वानी है।
(प्रस्तुति का समापन)
जोरदार तालियाँ इस शानदार ओजमयी प्रस्तुति के लिये। वाह वाह वाह। हमें गर्व है अपने अमर शहीदों पर और अपने कलाकारों पर।
कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति में प्रगति पथ पर अग्रसर वर्तमान भारत को एक बड़ा संदेश देना चाहती हूँ। हम आज़ाद देश में ख़ूब आनंदित हैं। हम दिन प्रतिदिन आधुनिक हो रहे हैं, आधुनिक होना आवश्यक है, लेकिन सही मायने में हम अब भी अपनी दोहरी मानसिकता से उबर नहीं पाये हैं। आज भी हमारे कुछ देशवासी, महिलाओं बहनों बेटियों के प्रति कहीं ना कहीं संकीर्ण विचारधारा रखते हैं। बालिका की भ्रूण हत्या, बच्चियों के यौन उत्पीड़न से लेकर महिला के साथ घरेलू हिंसा जैसे विषय आधुनिक भारत के लिये चिंताजनक हैं।
हमें अपना ह्रदय और विशाल करना होगा, और परिष्कृत होना पड़ेगा। अगली प्रस्तुति ‘बेटी बचाओ-देश बचाओ’ को लेकर आ रहे हैं 1…..,2……,3……,4……., मैं इन पंक्तियों के साथ प्रतिभागियों को आमंत्रित करती हूँ…
बेटी ना होती तो कैसे , लक्ष्मीबाई होती
दुर्गावती अवंती बाई, कहाँ पद्मिनी होती।
बेटी जैसा फूल विधाता, दूजा रच ना पाये
बेटीं हैं बेटों से बढ़कर, बेटी भाग्य जगाये।।
(प्रस्तुति का समापन)
अप्रतिम अप्रतिम अप्रतिम।। वाह वाह वाह। जोरदार तालियाँ। इससे अच्छी प्रस्तुति नहीं हो सकती। इससे बेहतर संदेश नहीं हो सकता। सभी कलाकारों को बधाइयां। साथियों इस एक खूबसूरत संदेश ‘बेटी बचाओ-देश बचाओ’ के साथ आज के इस राष्ट्रीय महोत्सव का समापन करते हैं। मैं हमारे संस्थान के प्रिंसिपल सर से अनुरोध करती हूँ कि वो आभार उद्बोधन देकर कार्यक्रम को परिपूर्ण करें। धन्यवादम। जय हिंद। जय भारत
Very lovely & Sweet line hai Sir , I proud of you Sir , thank U.
बहुत बहुत शुक्रिया दोस्त। आप लोगों की ऐसी हौसला अफ़ज़ाई ही मेरी ऊर्जा है।
बहुत बढिया सरजी
बहुत बहुत धन्यवाद मित्रवर। बहुत दिनों के बाद आपकी प्रतिक्रिया मिली
BAHUT HI SANDAR SIR. EK BAAR PAD KR DEK N SE MANO LAG NLAGYA KI JAB ANCRING HOGI TO BAS SAB K MUHH SE EK HI WORD NIKLE GA “WA WA WA ” MAJA AAGYA.
BAHUT SHANDAR SIR
बहुत बहुत धन्यवाद आभार मित्रवर। आप ख़ूब वाह वाही बटोरें।
Sir..
Republic day ancring script page no 2 ki script show please..
कुमावत जी सिमिलर पोस्ट के नीचे पेज no.2 पर जाने का एरो बना हुआ है। आप चेक करें। धन्यवाद
Sandar sir Ji or bi likho bagvan ki duaaaa Aapke sath ho
बहुत बहुत धन्यवाद भास्कर जी। बहुत आभार
श्रीमानजी,में इतना ही कहूँगा कि बहुत बहुत शानदार ।
बहुत बहुत शुक्रिया मीना जी। बहुत आभार
bahut hi sundar .
Plz avqil this in pdf for offline use
aapki site ki technical problem ne bahut problem di
जी। मैं प्रयास करता हूँ। बहुत बहुत धन्यवाद
सर आपने मंच संचालन जो इतना जटिल काम है को इतना सरल और भावों से भरा बना दिया जो हर मंच संचालनकर्ता को अलग ही कॉन्फिडेन्स देगा ….आभार जी
आपका बहुत बहुत आभार शंकर लाल जी। आप सबका स्नेह ही मेरी ऊर्जा है। बहुत बहुत शुक्रिया
अमित जी सर आपके द्वारा तैयार की गई यह प्रस्तुति काबिल तारीफ है। आपने शहीदों की शोभा मे चार चाँद लगा दिए। माँ शारदे से आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ!
आपका अतीव धन्यवाद एवं आभार महिपाल जी। आपकी सराहना से सकारात्मक ऊर्जा मिली। जय हिंद
अति सुन्दर रचना
बहुत बहुत धन्यवाद दिनेश जी। बहुत आभार
Many many thanks sir
Sir plz Ek upay batayen Sir, Jab stage pr jate hai to hath per kapne lagta hai, kya bolu na bolu samajh me nahi aata, kya ye dur ho sakta hai Sir? Me bahut bar try kar chuka hu lekin bol hi nahi pata,
Kya karu Sir plz reply jarur dijiyega.
राजू भाई, मंच पर बोलना भी बात करना ही है। ऐसा सोचो जैसे सारे श्रोता बच्चे हैं। दुनिया मे ऐसा कोई नहीं जिसको मंच पर जाने में बोलने में डर नहीं लगता। धीरे धीरे आ जायेगा। आप मेरी ebook ‘एंकरिंग का सुपरस्टार’ पढें जो कि ऐमज़ॉन किंडल पर प्रकाशित है। अवश्य सफलता मिलेगी। लिंक दे रहा हूँ-
https://www.amazon.in/Anchoring-Superstar-Hindi-Amit-Maulik-ebook/dp/B077CMCFBJ
I have been through your writing Sir ji.I am really very happy say that your writing is very beautiful.
Thank you very much Maida ji, thanks for your appreciation.
Bahut badiya sirji
बहुत बहुत शुक्रिया तौफ़ीक़ जी। दिल से आभार
प्रणाम सर मैं 26 जनवरी के लिए मंच संचलान करने जा रहा हूँ परन्तु मुझे डर लग रहा है ।आप कुछ सुझाव दे। प्लीज़ सर मदद करें
देव जी, 26 जनवरी के लिये बहुत सारी स्क्रिप्ट्स और सामग्री उड़ती बात पर प्रकाशित हैं। पढ़िए
Bhai bhut badia likha h apne
Thank you brother
बहुत बहुत धन्यवाद आभार आपका संजय जी। जय हिंद
Ye poora female ke liye hi hai kya ya
Sir esse ek male student bhi use kr skta hai na…..
Bhut hi badhiya. ……
Very useful ..sir marchpast karte samay manch sanchalan ke liye script share karen plz
HINDI KAVITA PTATIYOGITA KE LIYE EK ENCOURING SCRIPT IN HINDI FOR PRIMARY CLASS
सर जी प्रणाम, मैं पेशे से एक अधिवक्ता हू और अधिवक्ताओं के कार्यक्रम अक्सर होते रहते है। कई जगहो पर अधिवक्ता सम्मान समारोह का कार्यक्रम भी किया जाता है जहां पर अधिवक्ताओं को मंच पर बोलने के लिए आमंत्रित किया जाता हैं। मैं भी मंच पर बोलना चाहता हूं लेकिन क्या बोलूं ,कैसे मंच पर आसीन पदाधिकारियों , अथितियों का अभिवादन करू और सामने बैठे श्रोताओं को कैसे अपनी बाणी द्वारा प्रभावित करू ।समझ नहीं आता। आप से विनम्र निवेदन है कि कृपा कर इस पर कोई प्रभावी स्क्रिप्ट लिखे आपकी बड़ी मेहरबानी होगी।