26 जनवरी एंकरिंग स्क्रिप्ट 2019 – गणतंत्र दिवस पर मंच संचालन, 26 January Manch sanchalan script in hindi

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  • कवि अमित मौलिक

एंकर मेल – जी हाँ इति।। इतिहास बीत गया, किंतु इतिहास पुरुषों, वीरांगनाओं के अमर बलिदान की बदौलत ही हम आज इतनी शान और सम्मान के साथ हमारा राष्ट्र ध्वज तिरंगा फहरा पा रहे हैं। दोस्तों, जब भी हमारे अमर बलिदानियों के देश के प्रति ज़ज़्बे और उनके प्रति देशवासियों का सम्मान भाव देखता हूँ तो मुझे बरेली के बहुत ही मशहूर शायर जनाब ख़लील फरीदी साहेब की दो अमर पंक्तियां याद आती हैं कि –

काश ऐसा कोई काम कर जाऊँ मैं
नाम ज़िंदा रहे और मर जाऊँ मैं।

  • जनाब ख़लील फरीदी साहेब

और अपनी मिट्टी, अपनी मातृभूमि पर मर मिटने पर जो यश है वो दुनिया के किसी भी बड़े से बड़े काम को कर देने पर नहीं मिल सकता। इसी भावना के साथ मैं आज के कार्यक्रम के प्रथम सोपान की ओर बढ़ने की अनुमति चाहता हूँ। हमें जिनका इंतज़ार था वो हस्ती हमारे बीच में पधार चुकीं हैं।

एंकर फीमेल – जी हाँ, आज के मुख्य अतिथि ………… के अध्यक्ष ……… श्री ……… जी, आज के कार्यक्रम अध्यक्ष ………. के ……… श्री ……… जी, विशिष्ट अतिथि ………. के ……… श्री ……… जी, विशिष्ट अतिथि ………. के ……… श्री ……… जी हमारे मध्य पधार चुके हैं। जैसा कि स्थापित क्रम है, मैं ध्वाजारोहण के गरिमामय क्रम को सम्पन्न करने के लिए इन पंक्तियों के साथ आप सबको आमंत्रित करना चाहती हूँ कि…

गौतम अल्ला नानका, महावीर गोविंद
नस नस वंदे मातरम, अंग अंग जय हिंद
यही हवा मिट्टी यही, यही तिरंगा हाँथ
जन्म जन्म भारत मिले, आ जाये आनंद।

  • कवि अमित मौलिक

(ध्वजारोहण समापन)

एंकर मेल – एक बार पुनः समवेत स्वर में जयघोष करेंगे भारत माता की …., भारत माता की ….आप सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करते हुये मैं हमारे आज के अतिथियों को मंचासीन होने का निवेदन करता हूँ। हमारी संस्था के ……….. श्री ………. से अनुरोध करता हूँ कि वो विशिष्ट अतिथि जी ……..को मंचासीन करायें। साथ ही संस्था के ……….. श्री ……….जी से अनुरोध करता हूँ कि वो द्वितीय विशिष्ट अतिथि …………. जी को सादर मंचासीन करायें।

एंकर फीमेल – मैं हमारी संस्था के ……….. श्री ………. से अनुरोध करती हूँ कि वो आज के कार्यक्रम अध्यक्ष श्री……… जी को मंचासीन करायें तथा हमारी संस्था के ……….. श्री ………. से अनुरोध करती हूँ वो आज के मुख्य अतिथि श्रीमन ……….. जी को ससम्मान मंचासीन कराने में सहायता करें। मैं दो पंक्तियों से अपने डिग्निटीज़ का स्वागत करती हूँ कि …

आप आये नूर आया, मन प्रफुल्लित हो गया
मंच की शोभा बढ़ी है, जश्न सुरभित हो गया।

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