हिंदी दिवस एंकरिंग स्क्रिप्ट – हिंदी दिवस मंच संचालन स्क्रिप्ट, हिंदी दिवस प्रस्तोता स्क्रिप्ट
हम सीखे हैं हम सीखेंगें, कैसे बन पायेंगे शिक्षक
कोई भी क्षेत्र मिले हमको, भाषा के होंगें अनुरक्षक
है शपथ हमें निज भारत की, सवांद करेंगें हिंदी में
हम गुरुजनों की सीख ह्रदय, अक्षुण्ण रखेंगें जीवन में।
( स्वागत क्रम संपन्न ) तीव्र करतल ध्वनि इस गर्वित करने वाले क्रम के लिए। धन्यवाद
मित्रों, हिंदी भाषा हिंदुस्तान को एक सूत्र में पिरोती आई है। यह सच्चे अर्थों में जनमानस की भाषा है। महात्मा गांधी जी ने तो इसे राष्ट्रभाषा का सम्मान दिलाने के बहुत प्रयास किये थे किन्तु संकीर्ण मानसिकता से ग्रसित हमारे राजनेताओं ने अपनी आंचलिक राजनैतिक महत्वकांक्षाओं के रहते इसे राष्ट्रभाषा घोषित नहीं होने दिया।
अनन्तः संविधान में यह नियत कर दिया कि हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा के स्थान पर राजभाषा घोषित कर दिया गया। अब हम प्रत्येक बर्ष 14 सितम्बर को हिंदी को राजभाषा से राष्ट्रभाषा में परिवर्तित होते देखने की वांछा लिए गतिविधियां करते रहते हैं। हमारे क्षीण मनोबल के चलते विश्व में अंग्रेजी और चीनी भाषा के पश्चात चौथा स्थान रखने वाली हिंदी भाषा राष्ट्रीय भाषा न बनकर, राजकीय भाषा बनकर सिमट गई।
कार्यक्रम को गति देती हूँ और आप सबको सूचित करना चाहती हूँ कि हमारे विद्यालय के हिंदी के वरिष्ठ गुरु जी श्रीमन ……. जी पूर्ण समर्पण से हिंदी भाषा की साहित्य साधना में रत हैं। उनकी गणना एक कुशल शिक्षक में ही नहीं वरन एक सिद्धहस्त लेखक, उच्च स्तरीय कवि और प्रभावी चिंतक के रूप में होती है। निश्चित रूप से हम सभी विद्यार्थियों पर ही नहीं इस विद्यालय के प्रांगण की सीमाओं को लांघकर उनकी सुगंध सर्वत्र आच्छादित है।
मैं सभी साथियों से अनुरोध करती हूँ कि धमाकेदार करतल ध्वनि से उन्हें कुछ रचनायें सुनाने के लिये आमंत्रित करने में मेरी सहायता करें।
(प्रस्तुति समाप्त) अद्भुत। मोहक। अनिर्वचनीय। पुनः सपुष्ट करतल ध्वनि हमारे गुरुवर के लिए। धन्यवाद
गुरु जी का काव्य पाठ सुनकर जो सीख मिली है उन्हें चार पंक्तियों के रूप में वृस्तित किया जाये तो कहूँगी कि …
देवों के द्वारा विरचित है, ऋषियों ने वृस्तित किया जिसे
अपने मौलिक अनुशीलन से, कवियों ने अमृत किया जिसे
यशवंत शासकों ने दी थी, जिसको नूतन परिभाषा है
वह हिन्दोस्तां की अलबेली, जन-जन की हिंदी भाषा है।
आभार श्रीमन का। कार्यक्रम को गति देती हूँ और आपको बताते हुये प्रसन्नता हो रही है कि केवल हमारे शिक्षक गण ही नहीं हमारे विद्यालय के विद्यार्थी कम मौलिक नहीं हैं। अपनी चिंतनशील मेधा से हमारे विद्यालय के कई साथी हिंदी भाषा की सेवा कर रहे हैं। कुछ न कुछ रचनात्मक योगदान दे रहे हैं। वो हिंदी भाषा के लिए अच्छा सोचते ही नहीं वरन अच्छा बोलते भी हैं।
Superb script
धन्यवाद आपका पटेल साहेब।
बहुत खूब
धन्यवाद आपका लीला जी। बहुत आभार
🌹
अद्धभुत अकल्पनीय सटीक लेखन चित्रण के चित्रकार को मन मानस के आलोक से आलोकित हृदय के गहनतम तल से वंदन🙏..
आदरणीय आपकी शैली को कुछ भी नाम देकर उसे शब्दसीमा से अभिव्यक्त करना शब्दावली का अपमान ही होगा…
यह लेख अवर्णतित ऊर्जा के अनुपम अनुप्रयोग शिल्पकार द्वारा किया हुआ वह टंकण विधा है जिसके द्वारा निर्मल चोटों से शिला से भगवान का रूप निर्माण प्रशस्त होता है….
आप द्वारा इस शिल्प से निवर्तमान पीढ़ी में भाषा के सशक्तिकरण एवम अभिव्यक्ति की जो अलख …. आप के द्वारा प्रज्वालित करी गई है निःसंदेह उसकी किरणें हमारे भारत वर्ष में एक नया सवेरा जरूर लाएगी… ऐसा मुझे दृढ़ विश्वास है ….।
पुनः आपके अथक प्रयास को नमन
जय जिनेन्द्र🙏
आदरणीय आलोक जी, जय जिनेंद्र। मुझे अतीव प्रसन्नता हुई कि स्क्रिप्ट आपको रुचिकर लगी। इस स्क्रिप्ट को लिखवाने का पूर्ण श्रेय आपको जाता है। आनंदित हूँ आपकी मनभावन शाब्दिक सराहना से। गुड़िया रानी को उसके कार्यक्रम के लिए शुभेक्षायें। बहुत बहुत आभार धन्यवाद
बहुत ही शानदार अमित जी
बहुत बहुत धन्यवाद सैनी साहेब। बहुत आभार
मुझे बहुत पसंद आई, पढ़ाने मे कारगर साबित हुई, धन्यवाद साहब……. सुनिल कडू . हिंदी अध्यापक बाबासाहेब धाबेकर विद्यालय बार्शी टाकळी जिला. अकोला महाराष्ट्र
धन्यवाद आदरणीय अध्यापक जी। हिंदी के विद्वतजनों के द्वारा सराहे जाने का अलग ही आनंद है। आभार
आदरणीय स्नेहिल्
आप द्वारा प्राप्त उपहार स्वरूप यह मौलिक ज्ञान की व्याख्या को ,मैं मात्र एक व्यक्तव्य से करना चाहूंगा,
बिटिया रानी द्वारा मंच संचालन निष्पादित होने के पश्चात सभी ने (समस्तवर्ग द्वारा) ह्रदय से शुभकामनाये प्रेषित करी ,पर सबसे ज्यादा खुशी मेरी बिटिया को उन शिक्षिका से हुई जो कभी किसी को एकाएक उत्साहित नहीं करती ,उनके द्वारा भी जब बिटिया स्नेहाशीष प्राप्त हुआ तो उसकी खुशी का वह क्षण ह्रदय को सुकून देने वाला था, मैं असाधारण सहज सरल भावों से आपका आभार व्यक्त करता हूँ ,आपने अपने बहुँमुखी प्रतिभा से हम सभी को आनंद के सागर में भीगने का अवसर प्रदान किया।
पुनः आभार
आपके आगामी लेख के इंतजार में
आलोक जैन
आदरणीय आलोक जी, सादर जय जिनेंद्र।
मुझे अभूतपूर्व ख़ुशी हुई यह जानकर कि बिटिया रानी को अप्रतिम प्रतिसाद मिला। आर्टीकल लिखना तब सार्थक होता है जब लेख के द्वारा कोई सफलता की कहानी गढ़ता है।
पुनः आभार आपकी अतुल्य शुभेक्षाओं के लिये। आपसे अनुरोध है कि यदि अनुकूलता हो तो बेटी की मंच संचालन करते हुये कुछ तस्वीरें मुझसे अवश्य साँझा करें। मैं अपने किसी आर्टिकल में उन चित्रों का प्रयोग करूँगा। धन्यवाद आपका
Bahut bahut dhanywad sir, is hinglish ke mahoul me hamari bhasha ki khichdi pak rahi hai , aise me shabd suzte hi nahi hai..aapki is script ne doobti na
iya ko aadhar diya hai.punha apka hardik dhanywad.
अतिसुंदर रचना “मौलिक जी”
हिंदी शिक्षिका अनिता निलेश
बहुत खूब, आपकी लेखनी यूँ ही सुनहरे रंग बिखेरती रहे।