शिक्षक दिवस एंकरिंग स्क्रिप्ट । Teachers day Anchoring script in hindi । शिक्षक दिवस पर मंच संचालन स्क्रिप्ट हिंदी में। शिक्षक दिवस पर एंकरिंग कैसे करें

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(प्रस्तुति का समापन) वाह वाह।। मित्रो तालियों की ऐसी गड़गड़ाहट होनी चाहिए कि आसपास के लोगों को पता चले कि कोई कार्यक्रम चल रहा है। बहुत ही बढ़िया play था।

देखिये मैंने तालियों की मखमली आवाज़ के लिए नही कहा था जी, गड़गड़ाहट के लिये कहा था। पंक्तियाँ कहती हूँ कि-

उदास चेहरों पर भी रूहानी नूर आ जाता है 
ताली बजतीं रहें तो जोश भरपूर आ जाता है 
इन कलाकारों का हौसला बढ़ाते रहें बजाते रहें 
तालियों से तो महफ़िल में भी सुरूर आ जाता है।

मजाकिया स्वर में-हाँ जी। अब कहना ना पड़े। ऐसे ही हर प्रस्तुति पर जोरदार तालियाँ बजती रहनी चाहिये। बहुत बहुत धन्यवाद

 

क्रम 8-शिक्षक अभिनदंन

फिर थोड़ा गंभीर होकर-तो dear friends आप सबने देखा कि किस प्रकार एकलव्य ने अपनी जिद, लगन और सतत अभ्यास से अर्जुन से भी ज्यादा दक्षता प्राप्त की। क्यों ऐसा क्यों हुआ भला? मुझे जो समझ आया वो यूँ कि सच्चे शिष्य बनो, योग्य शिष्य बनो, पात्र बनो तो गुरुजन सच्चे ह्रदय से तुम्हारे साथ होते हैं। तुम्हारे ह्रदय में वास करते हैं।

और जब ऐसा हो जाता है तो चाहे कैसी भी लड़ाई हो, कैसी भी ज़िद हो। जहाँ जहाँ भी तुम्हें निर्णय लेने में, कठिनाइयों से जूझने में असहायता मेहसूस हो, बस अपने गुरु को याद कर लेना। यकीन मानें वहाँ वहाँ तुम्हारे गुरुजन तुम्हें सहायता करेंगे-करते हैं। उनके दिये हुये आशीर्वाद के रूप में, उनकी दी हुई शिक्षा और ज्ञान के रूप में।

ऐसे होते हैं गुरुजन। कितना बढ़िया कहा है संत कबीर ने कि-

सब धरती कागज करूँ, लिखनी सब बनराय
सात समुद्र की मसि करूँ, गुरु गुन लिखा न जाय।

चाहे पूरी धरती को कागज़ बना लो, वसुंधरा के सारे जंगल को कलम बना लो, सातों समुद्रों को स्याही बना लो तब भी गुरु गुणों का वर्णन नही हो पायेगा। एक बार ज़ोरदार करतल ध्वनि हमारे गुरुजनों के लिए।

सभा मे अभी हमारे बहुत सारे गुरुजन उपस्थित हैं और उनका वंदन अभिनंदन किया जाना शेष है।

मैं यहाँ से क्रमशः एक एक सर का नाम का वाचन करूंगी, साथ ही उनका स्वागत छात्र छात्राओं की ओर से कौन कौन या कॉलेज की प्रबंधन टीम की तरफ से कौन कौन करेगा यह भी उल्लेख करूंगी। नामित गुरुजन का तिलक लगाकर और मोमेंटो देकर स्वागत करना है। स्वागत कर्ताओं से अनुरोध है कि हमारे गुरुजन जिस चेयर या स्थान पर विराजित हों। उसी स्थान पर जा कर उनका स्वागत करें, वंदन करें, अभिनन्दन करें।

(स्वागत क्रम सम्पन्न) हम छात्रों के लिए सौभाग्य शाली इस क्रम के समापन पर मुझे श्री गोस्वामी तुलसी दास जी की दो पंक्तियाँ याद आ रहीं हैं कि-

गुरुबिन भव निधि तरइ न कोई
ज्यों विरंचि शंकर सम होई।।

अर्थात आप चाहे ब्रम्हा विष्णु या शंकर ही क्यों न हों लेकिन गुरुबिन आपको कोई पार नही लगा सकता। ऐसी गुरु की महिमा होती है। एक बार दोनों हाथ ऊपर उठा करके हमारे गुरुजनों के सम्मान में तालियों की गड़गड़ाहट हो जाये। सब एक साथ बजायेंगे। एक भी हाथ इस सभागृह में शेष न रहे। बहुत बहुत धन्यवाद।

 

क्रम 9-आभार प्रदर्शन

मैं हमारे students union leader भाई विजय चक्रवर्ती जी को मंच पर आमंत्रित करती हूँ कि वो आयें और आभार स्वरूप कुछ शब्द कहें। बहुत बहुत धन्यवाद आप सभी का। आप सबको टीचर्स डे की ढेरों ढेर शुभेक्षायें।

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