मोहब्बत के जुदा-जुदा रंगों की 3 रूमानी कवितायें । 3 Very Romantic love Poems । हिंदी में प्यार की कवितायें

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कविता-बदल गये हो

डबडबाती कोरों
से भी देखा,
दिखते तो हो तुम!
पर वैसे नही
जैसे दिखते थे
संभवतः तुम
बदल गये हो
हाँ!! तुम
बदल गये हो।

पहले तुम्हें आती थी
संकेतों की भाषा
झूठ सच क्षोभ विषाद
सब पकड़ लेते थे।
मैं लिख देती थी
उंगली से कुछ
शून्य में, और तुम
दूर से ही पढ़ लेते थे।
देख भी नही पाती थी
कोई स्वप्न
और तुम हो कि
उसे गढ़ देते थे।
अब तुम थोड़ा
आंगें निकल गये हो
संभवतः तुम
बदल गये हो
हाँ!! तुम
बदल गये हो।

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◆इश्क़ के दोहे

शायद यह ठहराव है
या फिर कोई पड़ाव है
मालूम करेंगे,
क्या सबके साथ होता है
बिना भीड़ के भी
यूँ कोई खोता है!
ना जाने कितने
स्वप्न पल रहे थे
जब तुम
उंगली पकड़ कर
चल रहे थे
तुम फ़लक छू लिये
मैं रह गई यहीं नीचे
छूट गई हूँ मैं
पीछे, बहुत पीछे
शायद तुम तेज़
बहुत तेज़ चल रहे हो
संभवतः तुम
बदल गये हो
हाँ!! तुम
बदल गये हो।

कविता-सुगंध

अब नहीं होती हैं
मुझे गलतफहमियां
अब मुझे दिखने लगी हैं
अपनी भी कमियाँ।
तुम्हारा संग मिला
तो जाना कि जीने का
ढंग किसे कहते हैं
फूल किसे कहते हैं
सुगंध किसे कहते हैं।
तुमने थाम ली उंगली
तो मैं भी चल पड़ा
तुम्हारे साथ।
अपने आपको
तुम्हें सौंप दिया,
तो तुमने भी रोप दिया
मुझे, अपने आसपास ही
उपवन की क्यारी में
अब मैं भी हूँ
महकने की तैयारी में
जब खिल जायेंगे तो
महक लुटायेंगे
और सौभाग्य होगा
तो हम भी,
कभी ना कभी
तुम्हारी तरह
गुलकंद बन जायेंगे।

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कविता-धन्यवाद

फिर वही सब याद आ रहा है।
तुम मुझे ग़लत न समझना
मैं करता हूँ कोशिश
तुम्हें भुलाने की,
अब कुछ अहद ही नहीं
तुम्हें आज़माने की।
भुला दूँगा,
यकीन भी आ रहा है
पर ना जाने क्या बचा है
जो मुझे बहुत सता रहा है।

हाँ याद आया!
तुम्हें धन्यवाद कहना है।
क्षमा करना कभी कहा ही नही
अपना पराये का कोई
ख़्याल मन मे रहा ही नहीं
हाँ, मुझे अब
अपना बर्ताव बदलना है।
बदल लूंगा,
यकीन भी आ रहा है
पर ना जाने क्या बचा है
जो मुझे बहुत सता रहा है।

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