सरोगेसी पर नुक्कड़ नाटक-Surrogacy par Nukkad naatak

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निश्चित रूप से यह बड़ा बदलाव है। लेकिन इस बराबर की महत्ता एवं आजादी के कारण कई बार माता पिता के सामने बड़ी ही भयानक स्थिती उत्पन्न हो जाती है। युवा मन कई बार भटक जाता है। और इसका दुष्परिणाम एक ऐसा तबाही का मंजर सामने लाता है कि हमारी रूह तक कांप जाती है।

इस लघु नाटक के द्वारा आप सब को तस्वीर का वह पहलू दिखाने की कोशिश की जायेगी जिसमें हमारे युवक और युवतियाँ भावनाओं में फस कर अपने जीवन को बरबाद कर लेते हैं।

इस नाटक के मुख्य पात्र एक प्रतिष्ठित परिवार की लड़की प्रियंवदा है, जो कि इंजिनियरिग के अंतिम सेमेस्टर की छात्रा है। प्रियंवदा को एक लड़के वरूण से प्रेम हो जाता है जो कि एक छोटा मोटा सिंगर है।

आइये देखते हैं यह प्रेमका सफर प्रियंवदा को किस अंधे दलदल में फसा देता है।

दृष्य 2

गार्डन का दृश्य:
   
एक तरफ से लडका एवं एक तरफ से लडकी प्रवेश करती हुई दिखती है-

   
लड़का – बाहें फेलाए हुए स्टाइल से प्रवेश करता हुआ गाता है..

वरूण  – मेंहदी लगा के रखना, डोली सजा के रखना,
         लेने तुझे ओ गोरी, आयेंगे तेरे सजना।
       
लड़की :- (अदा से थोडा शर्माती है ) रहने दो रहने दो। बस बस। वरूण बहुत हो गया, इनफ-इनफ।

दोनो एक बेंच पर बैठ जाते हैं लड़की थोड़ी चिन्तित हो जाती है।

लड़की – वरूण ऐसा कब तक चलेगा ?

लड़का – क्या मतलब ?

लड़की – अब मैं इस सिलसिले को और लंबा नहीं खीचना चाहती अब हमें             शादी कर लेना चाहिये।

लड़का – रोमॉटिक मूड़ में, अभी चलें !!

लड़की – मै मजाक नहीं कर रहीं हूँ। मेरे मम्मी पापा मेरी शादी के लिए बहुत      परेशान हैं, ऐसे ही किसी दिन मेरी शादी कहीं तय हो जायेगी और कोई खड़ूस लडका मुझे विदा कर के ले जायेगा और तुम गाना ही गाते रह जाआगे..
(चिढ़कर) मेंहदी लगा के रखना!!

लड़का – तुम सिर्फ मेरी किस्मत में लिखी हो। सब ठीक हो जायेगा। चिंता मत करो। हम जल्दी ही शादी करेंगे।

लड़की – अब मैं चलती हुं बाय, मुझे घर पहुचना है।

लड़का – ठीक है कल मिलते है। बाय हनी।

दृश्य 3.

एक घर में बैठक (ड्राइंग रूम का दृश्य )

लडकी प्रियंवदा के पिता जी अखबार पढ़ रहे हैं
तभी मोबाइल की घंटी बजती है लेकिन पिता जी अखबर पढ़ने में मशरूफ़ रहते हैं पीछे से प्रियंवदा की मम्मी की आवाज आती है-

मम्मी – सुनते हो जी। फोन बज रहा है!!

पिता जी अखबार पढने में मगन रहते हैं। 

 

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