सरोगेसी पर नुक्कड़ नाटक-Surrogacy par Nukkad naatak

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सरोगेसी पर नुक्कड़ नाटकप्रिय पाठक गण, उड़ती बात पर आपका बहुत – बहुत स्वागत है। मित्रों, यह आर्टीकल सरोगेसी पर नुक्कड़ नाटक  मेरी पत्नी जी लेखिका रिंकी जैन Kahanikar Rinki Jain Jabalpur जी द्वारा लिखित है जो कि भारत में पनप रहे सरोगेसी के विकृत व्यवसायिक रूप को चित्रित करने वाला नुक्कड़ नाटक है। सरोगेसी यानि किराए की कोख। आधुनिकता की दौड़, पाने – खोने की जहद, कुछ बनकर दिखाने की अहद और समय के अभाव ने लोगों में शॉर्ट कट लेने की प्रवत्ति पैदा कर दी है। प्रकृति के सिद्धांतों के विरुद्ध जाकर कुछ पा लेने की तरकीब ढूंढना आदमियत के लिए विनाशकारी सिद्ध हो रहा है।

विगत कुछ बर्षों से उच्च तबके के भारतीय जनमानस में बच्चा पैदा करने की ज़हमत से बचने के लिये किराये की कोख लेने का कुचलन चल गया है। हालाँकि मुझे इस बात से इंकार नहीं कि शारीरिक अक्षमता के चलते मातृत्व सुख से वंचित रह जाने वाली दंपत्तियों के लिए यह एक वरदान है। किंतु बिना तकलीफ़ के शॉर्ट कट में बच्चा पाने की ओछी सोच ने इस व्यवस्था को व्यापारिक रूप में बदल दिया है जो कि बहुत ही दर्दनाक है। यह लेख सरोगेसी पर नुक्कड़ नाटक  सरोगेसी के इस निहायत गिरे हुये बाज़ारीकरण का पुरज़ोर विरोध करता है। मेरा विश्वास है कि यह play इस गम्भीर विषय के प्रति समाज में जागरूकता पैदा करेगा। यदि आप

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सरोगेसी पर नुक्कड़ नाटक

शीर्षक-भटकाव

लेखिका – रिंकी जैन जबलपुर
Time-18 minutes

दृश्य 1.

 

सूत्रधार – सभी दर्शकों को नमस्कार ।

विगत कई वर्षो से हमारे देश एवं समाज में बेटीयों को लेकर बडा ही सकारात्मक बदलाव आया है। अब प्रायः लड़कों एवं लडकीयों में कोई अंतर नहीं गिना जाता है। हम माता पिता अब अपनी बेटीयों की अच्छी शिक्षा एवं उनका अच्छा पालन पोषण कर रहे हैं।

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