कहानी-नहरिया , किसान पर कहानी, भारतीय किसान पर कहानी

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बच्चों और नौकर के जोर से चिल्लाने के कारण, पथराव करने के कारण एवम भुल्ले के हमला कर देने के कारण चीता घबरा कर भाग गया। शोरगुल सुनकर गाँव वाले भी पहुँच गये। भुल्ले को चीते ने बहुत घायल कर दिया था। गाँव वालों की मदद से भुल्ले को हस्पताल पहुँचाया गया। पूरे गाँव में इस बात की ख़बर बिजली की तरह फैल गई। ठाकुर का पूरा परिवार हादसे के कारण घबरा गया लेकिन बच्चों को सकुशल पा कर ईश्वर का और भुल्ले का धन्यवाद करने लगा। ठाकुर को अपने किये पर बहुत पछतावा हुआ।

भुल्ले के स्वस्थ हो जानें पर गाँव में एक सभा बुलाई गई जिसमें भुल्ले की वीरता को सबने सराहा और पुरुष्कार दिया। ठाकुर ने अपने 6 बहुत उपजाऊ खेत भुल्ले के नाम कर दिये और उसकी एक लड़की का ब्याह भी अपने खर्चे पर करने की घोषणा की। नहरिया का काम भी जोर शोर से आरम्भ हो गया जिसमें भुल्ले ने उत्साह से श्रमदान किया।

किसान पर कहानी का मोरल-अच्छाई और भलमँसाहत की जीत सदा ही होती है और बुराई को अंत में हारना ही पड़ता है

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