कहानी-नहरिया , किसान पर कहानी, भारतीय किसान पर कहानी
बच्चों और नौकर के जोर से चिल्लाने के कारण, पथराव करने के कारण एवम भुल्ले के हमला कर देने के कारण चीता घबरा कर भाग गया। शोरगुल सुनकर गाँव वाले भी पहुँच गये। भुल्ले को चीते ने बहुत घायल कर दिया था। गाँव वालों की मदद से भुल्ले को हस्पताल पहुँचाया गया। पूरे गाँव में इस बात की ख़बर बिजली की तरह फैल गई। ठाकुर का पूरा परिवार हादसे के कारण घबरा गया लेकिन बच्चों को सकुशल पा कर ईश्वर का और भुल्ले का धन्यवाद करने लगा। ठाकुर को अपने किये पर बहुत पछतावा हुआ।
भुल्ले के स्वस्थ हो जानें पर गाँव में एक सभा बुलाई गई जिसमें भुल्ले की वीरता को सबने सराहा और पुरुष्कार दिया। ठाकुर ने अपने 6 बहुत उपजाऊ खेत भुल्ले के नाम कर दिये और उसकी एक लड़की का ब्याह भी अपने खर्चे पर करने की घोषणा की। नहरिया का काम भी जोर शोर से आरम्भ हो गया जिसमें भुल्ले ने उत्साह से श्रमदान किया।
किसान पर कहानी का मोरल-अच्छाई और भलमँसाहत की जीत सदा ही होती है और बुराई को अंत में हारना ही पड़ता है।
प्रारम्भिक सम्वाद बहुत अच्छे थे।
किन्तु अंत की ओर बढ़ते बढ़ते शायद कहानी के लम्बी होने की चिंता कर आप खुद ही संयम खो बैठे।
और भुल्ले की भलमनसाहत को 1 पेरेग्राफ में ही निपटा दिया।
ई तो सरासर अन्याय हैं माई बाप।
?
जी अवश्य त्रुटि हो सकती है। सच कहूँ तो कहानियाँ लिखना उतना सहज नही मेरे लिये। आपने आगाह किया। आपका बहुत बहुत आभार।
अमित जी कहानी अच्छी है और गाँव के भाई चारे का अच्छा चित्र प्रस्तुत करती है | आपका प्रयास सराहनीय है | सस्नेह ———
आपका ह्र्दयतल से बहुत बहुत आभार आदरणीया। आपके आशीर्वचन ऊर्जा से भर देते हैं। अतुल्य धन्यवाद। पुनः पधारें