कहानी-नहरिया , किसान पर कहानी, भारतीय किसान पर कहानी

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गाँव के कई सारे किसान इस कारण भुल्ले से ईर्ष्या करते हैं और उसके खिलाफ षडयंत्र करते रहते हैं। मनीराम गाँव में एक दुष्ट प्रवत्ति का व्यक्ति माना जाता है, और उसके खेत भुल्ले के खेत से ही लगे हुये हैं। मनीराम ने भुल्ले को कई बार पटाने की, डराने की, फुसलाने की कोशिश करी कि वह उसको भी सिंचाई के लिये अपने कुयें से पानी दे दिया करे। लेकिन काम चलाऊ पानी ही उपलब्ध होने के कारण भुल्ले ने मना कर दिया। अब मनीराम किसी भी प्रकार से भुल्ले का अहित करने के प्रयास में रहता है।

गाँव के दो कोस दूर से एक नहर निकलती है और उसमें बाँध से छोड़ा हुआ पानी बहता है। नहर के आसपास के किसान तो उससे लाभ उठा लेते हैं लेकिन ठाकुर के गाँव से दूरी होने के कारण नहर का पानी गाँव में नहीँ आ पाता। धूर्त मनीराम ने ही ठाकुर साब को सुझाव दिया कि अगर एक पतली नहरिया बड़ी नहर से गाँव तक खोदी जाये तो आपको और हम सबको सिंचाई के लिये काम चलाऊ पानी मिल सकता है।

सुझाव बहुत ही अच्छा था, गाँव के कई किसान इस काम में श्रमदान करने को तैयार थे। लेकिन जैसी कि मनीराम की योजना थी, ठाकुर के खेतों की स्थिति ऐसी थी की एक तरफ़ पहाडिय़ा थी और एक तरफ़ गहरा दर्रा। केवल बीच में से ही रास्ता बनाया जा सकता था और उस रास्ते में भुल्ले के खेत पड़ते थे। नहरिया को केवल भुल्ले के खेतों से ले जाया जा सकता था। भुल्ले को बुलाकर जब जगह देने की बात की गई तो भुल्ले ने गाँववालों के सामने ही मना कर दिया। और इसी बात को लेकर ठाकुर साब अपना अपमान समझ गुस्से से भर गये थे।

ठाकुर साब के यहाँ से भुल्ले लौट तो आया लेकिन बहुत चिंतित और परेशान दिख रहा था।

‘मुन्नी के बाबा हाथ-मुँह धो लीजिये। मैं रोटी परोस रही हूँ।’ भुल्ले की पत्नी गिरजा ने रसोई से बाहर आते हुये कहा और भुल्ले का उतरा हुआ चेहरा देखकर ठिठक गई। ‘क्या हुआ? सब ठीक तो है ?’ गिरजा ने किसी अनहोनी की आशंका वाले स्वर में पूंछा!

‘पता नहीँ। रघुनाथजी हमारी कैसी परीक्षा ले रहे हैं!’ भुल्ले की आवाज़ किसी गहरे कुयें से आती हुई लगी।

‘हुआ क्या है ? अब कुछ बताओगे भी!!’

भुल्ले ने सारा किस्सा सुनाया और पक्के स्वर में कहा ‘गिरजा! चाहे कुछ भी परिणाम हो लेकिन मैं अपने खेत से नहरिया नहीँ निकलने दूँगा।’

गिरजा चिंतित स्वर बोली ‘सब ठीक हो जायेगा। आप सब कुछ भगवान रघुनाथ जी पर छोड़ दो। आप तो रोटी खालो शांति से।’

भुल्ले के परिवार में 6 सदस्य थे। उसकी पत्नी गिरजा, दो लड़कियाँ, 17 साल की मुन्नी और 15 साल की कमला और उसके बूढे आश्रित माँ-बाप। इतने बड़े परिवार का गुजारा भुल्ले के केवल चार खेतों से जैसे-तैसे चलता था। भुल्ले की अपनी चिंतायें थीं कि लड़कियों का ब्याह करवाना है, बूढे बाप का तपेदिक का इलाज चलता है। नहरिया वाले मामले से भुल्ले बहुत चिंतित हो गया। वह करता भी तो क्या करता।

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