देशभक्ति पर एक बहुत ही ओजमयी कविता । Deshbhakti par kavita
देशभक्ति पर एक बहुत ही ओजमयी कविता – यह वतनपरस्ती पर कविता महज़ एक कविता नहीं है, एक आक्रोश भरा नाद है। अपने देश की तरक़्क़ी में रोड़ा अटकाने वालों के ऊपर तेज़ाबी हुँकार बरसाती यह रचना देशभक्ति पर एक बहुत ही ओजमयी कविता आपकी नसों में रक्तिम उबाल ला देगी ऐसा मेरा विश्वास है। यह देशभक्ति की कविता आपके अंदर देशभक्ति की प्रखर भावना लाये ऐसी कामना करता हूँ।
देशभक्ति पर एक बहुत ही ओजमयी कविता
नव प्रभात की नई रोशनी, में इक दीप जलाया हूँ
शाम तलक कुछ फुंकारों से, लावा इसे बनाया हूँ।
फफक उठे हैं-दहक उठे हैं, लाल फुलङ्गे सीने में
हमको प्यारे रास ना आया, ऐसे घुट-घुट जीने में।
कलम चली है-कलम चलेगी, हलके में मत लेना जी
खुल के जब तलवार चलेगी, फिर इलज़ाम ना देना जी।
ये भी पढ़े: नोटबंदी पर कविता
ये भी पढ़े: योगी आदित्यनाथ पर कविता
कब तक यूँ अपनी चादर में, मुफ़लिस पैर सिकोड़ेगा
कब तक यूँ तपती गर्मी में, भारत पत्थर तोड़ेगा।
कब तक घुट-घुट कर बेबस हो, युवा देश का मचलेगा
कब तक ख्वाबों की लाशें को, ढो-ढो कर के कलपेगा।
कब तक गंगा मैली होंगीं कब तक यमुना सूखेंगीं
कब तक नालंदा की गलियां बेनूरी पर रुठेंगीं।
धरती अम्बर घाट नदी सब रुष्ट, हिमालय रोता है
मक्कारी को मंडित कर दें, हमसे ना ये होता है।
एक भयंकर गलती ना करते, भगवान बना लेते
सुबह शाम गाते यश गाथा, गीता तुम्हें बना लेते।
ये भी पढें: नोटबंदी के विरुद्ध भारत बंद पर कविता
ये भी पढें: फिल्म पद्मावती विवाद पर कविता
चंद परस्तों के हाथों से, डोर देश की ले लेते
आज़ादी के दिन ही इनसे, भी आज़ादी दे देते।
एक बार गर बेईमानों से, पीछा आप छुड़ा देते
एक बार इन नाफरमानों को, औकात दिखा देते।
तो दशकों यूँ देश ना लुटता, मोती चुगते हंस सभी
रावण ना होते यूँ पैदा, नज़र ना आता कंस कभी।
सम्भु वाला एक हलाहल, प्याला इन्हें पिला देते
वक्त बहुत था शीश दम्भ का, काट तुंग लटका देते।
लौह पुरुष जी यही लुहारी, अंतिम काम बना देते
सारा देश अयोध्या होता, तुमको राम बना लेते।
दंश बड़ा दुखदाई है ये, दिल पीड़ा से रोता है
मक्कारी को मंडित कर दें, हमसे ना ये होता है।
माना कि यह देश भरा है, मक्कारों के सूबों से
लेकिन हम अंजान नहीं है, कुत्सित इन मंसूबों से।
हम तो बस उलझे रहते हैं, अपनी रोज़ी रोटी में
लेकिन तुमको मज़ा आ रहा, मजलूमों की बोटी में।
बहुत हो गया छाती पर यूँ, मूंग नहीं दलने देंगें
पाक हिमालय की छाती पर, छाले ना पलने देंगें।
हमने अपने मौलिक सपने, देश की खातिर बेचे हैं
लहू सींचकर चमन खिलाया, प्राण हलक से खींचे हैं।
हमने सत्ता-धीशों के, पैरों से धरती छीनी हैं
कितने भागे खेत छोड़, कितनों ने लाशें बीनी हैं।
तुमने दशकों लूटा है, अब शांत रहो ये नक्कालो
अच्छा करने वालों की, राहों में अड़चन ना डालो।
वरना फिर अंजाम तुम्हारा, होगा क्या कुछ सोचा है
मक्कारी को मंडित कर दें, हमसे ना ये होता है।
यह आर्टिकल देशभक्ति पर एक बहुत ही ओजमयी कविता आपको कैसा लगा। प्रतिक्रिया अवश्य दें।
सर में आपके इस वेबसाइट से अति प्रसन्न हूँ आपको दिल से बधाई देता हूं आपका आभार व्यक्त करता हु अपेक्षा करता हु महाराणा प्रताप की जयंती पर भाषण चाहता हु।
बहुत शुक्रिया सौरभ जी। जरूर दे दूँगा लेकिन कब है महाराणा प्रताप जी की जयंती ।
सर जी नमस्कार
सबसे पहले मैं आपको इस प्रखर मंच को बनाने और इसे संचालन करने के लिए हृदय से आपका सम्मान करता हूं और आपका बहुत बहुत आभार व्यक्त करता हूं।
मैं आज ही आप से इस साइट के माध्यम से जुड़ा हूं और आप से निवेदन करता हूं कि इसी प्रकार आप निरंतर हमे सिखातें रहें।
धन्यवाद सर जी
सम्मानीय मोहित जी, जुड़ने के लिए ह्रदय से आभार। आप जैसे सुधि जन की सराहना सदा ही प्रेरणा प्रदान करती है। धन्यवाद
Ji manniya dhanyawad
सर आप बहुत ही सराहनीय कार्य कर रहे हैं, आपसे अनुरोध है मुझे अपना पर्सनल नंबर शेयर करने की कृपा करें।
मेरा मोबाइल नंबर 94577 11756
9 मई
की है सर् प्लीज् कोई अच्छा सा डायलॉग हो
9 मई
की है सर् प्लीज् कोई अच्छा सा डायलॉग हो
सर आपका पर्सनल नवम्बर हो बहुत जरूरी काम हैं
Sir reply to dijiye
सर जी सादर प्रणाम
बहुत सुंदर लगती है आपकी रचनायें
देशभक्ति पर सुंदर और जबरदस्त भाषण चाहता हुं ।
जिसे सुनकर हरेक का ह्रदय देशभक्ति की भावना से प्रज्वलित हो जाये ।
🙏🙏🙏
बहुत बहुत धन्यवाद स्वामी जी। मैं शीघ्र ही प्रयास करता हूँ इस तरह का आर्टीकल लिखने का। आपका बहुत बहुत आभार
जी बिलकुल
अभिनन्दन है आपका ।।
मैं प्रतीक्षारत हुं ।। सादर प्रणाम आपके चरणों में ।
आदरणीय स्वामी जी, मैं शीघ्र अतिशीघ्र प्रस्तुत करता हूँ। अस्वस्थ होने के कारण अवरोध आ गया है। क्षमा करें। नमन
Sir this is very nice. But can you write a poem on our army and (Shaheed) pls sir.
I,m waiting for your poem and reply
आदरणीय सिरोही जी,
मैं अवश्य ही कविता लिखूँगा। शीघ्र लिखूँगा। किसी घटना विशेष पर लिखना हो तो सूचित कीजियेगा। मेरे लिये यह गर्व का विषय है। आपको नमन। जय हिंद
आपका
अमित मौलिक
उड़ती बात
बहुत अच्छी कविता है
आपका बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
बहुत सुन्दर लिखते हो भाई जी।।
बहुत बडिया,,,
Namaskar sir is desh ke yuva ko zarurat hai ap jesi kalam ki jo unhe apne itihas par gaurvanvit mehsus karwaye. Him khud ko janenge tabhi dusre hamara samman karenge