दान पर भाषण – Speech on donation, Quotes on Donation, दान पर वक्तव्य

आज हमारी समाज एक संपन्न समाज मानी जाती है लेकिन मुझे कहते हुये अफ़सोस हो रहा है कि हमारी समाज के सैकड़ों हज़ारों नवयुवक रोज़गार पाने की जद्दोजहद से जूझ रहे हैं क्योंकि उनके पास पूँजी का अभाव है। और जिस संपन्न समाज का प्रतिनिधित्व करने का उनको गर्व है वही समाज उनकी मदद करने को आंगे नहीं आता है। प्रश्न है क्या हम कुछ व्यवस्थागत परिवर्तन कर सकते हैं जिससे इस समस्या का समाधान हो सके?
ऐसी ही समस्यायें बच्चों की शिक्षा को लेकर है। हमारे बच्चों को हायर एजुकेशन के लिये दूसरे शहरों में जाना पड़ता है। आर्थिक अक्षमता होने पर कर्ज लेकर बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। क्या हम इस बात का कुछ समाधान कर सकते हैं?
स्वास्थ्य एक ऐसा विषय है कि यह कब किसको बर्बाद कर दे कहा नहीं जा सकता। एक निम्न मध्यम वर्गीय परिवार जो कि जैसे तैसे अपने परिवार का निर्वाह कर रहा है, उसके घर मे किसी को गंभीर बीमारी हो जाये तो पूरी व्यवस्था चौपट हो जाती है, क़र्ज़ लेकर इलाज कराना पड़ता है।
बहुत सारे प्रश्न हैं। मन विचलित हो जाता है। समाधान हमें मिलकर निकालना है। दान करें लेकिन अंशदान भी करें। समाज की बेहतरी के लिये प्रत्येक परिवार अगर 100/- प्रतिमाह का अंशदान करे और इस कोष का प्रबंधन और परिचालन करने के लिये एक संस्थागत व्यवस्था बनाई जाये तो यह मशाल धीरे धीरे सूरज बनकर पूरी दुनिया को एक राह दिखा सकती है।
अंशदान राशि कुछ और भी हो सकती है, तरीका दूसरा कुछ और भी हो सकता है लेकिन विचार महत्वपूर्ण है। हमारी समाज ने सदा पहल की है और इस बार भी यह पहल करके हम पूरे देश मे मिसाल कायम कर सकते हैं। समय की मर्यादा है इसलिये मैं अपनी बात यहीं समाप्त कर रहा हूँ। जय हिंद। धन्यवाद
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bahut sundar
बहुत बहुत धन्यवाद आपका।