गणतंत्र दिवस पर अध्यक्षीय भाषण – 26 जनवरी पर अध्यक्षीय भाषण ड्राफ्ट, republic day speech in hindi

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हमारे कर्तव्य क्या हैं, हम ख़ूब मेहनत करें, ख़ूब तरक्की करें। हम अगर तरक्की करते हैं तो देश भी तरक्की करता है क्योंकि जैसे हम देश से हैं, वैसे ही देश हमसे है। हम ही देश हैं। एक देश जब अनुशासित होकर तरक्की करता है तो दुनिया उसका लोहा मानती है। हम अच्छे नागरिक बनें, देश की संपदा को नुकसान ना पहुंचाये, देशहित में काम करें यही हमारे कर्तव्य हैं, यही हमारी देशभक्ति है। फिर नौबत ही नहीं आनी वाली कि किसी को देश की आन बान शान की ख़ातिर अपना लहू बहाना पड़े।

ख्यातिनाम कवि श्रीकृष्ण सरल जी कितना बढ़िया लिखते हैं कि..

साँसें गिनने को आगे भी
साँसों का उपयोग करो कुछ 
काम आ सके जो समाज के 
तुम ऐसा उद्योग करो कुछ
क्या उसको सरिता कह सकते
जिसमें बहती धार नहीं है ?
जीने का अधिकार नहीं हैं
जिसे देश से प्यार नहीं हैं
जीने का अधिकार नहीं हैं।

अपनी मातृभूमि, अपना गाँव, अपने शहर, अपने देश के लिये कुछ बड़ा कर दिखाने का ख़्वाब देखें। कुछ अलग कुछ रचनात्मक योगदान देने का प्रयास करें। तभी वंदे मातरम कहने में आनंद आयेगा। और सही मायने तब ही हमारी मातृभूमि का वंदन होगा। मुझे कवि अमित जैन ‘मौलिक’ की पंक्तियाँ याद आ रहीं हैं कि…

चलो चढ़ें सर्वोच्च शिखर पर
चलों बड़ा कुछ कर दिखलायें
जग सारा यशगाथा गाये
चमत्कार ऐसा कर जायें
तब ही महीना मंडन होगा
तब तेरा अभिनंदन होगा
जो तेरा अभिनन्दन होगा
मातृभूमि का वंदन होगा।

इसी संदेश के साथ आपसे विदा लेता हूँ। इतना मान देने के लिये आप सबका आभारी हूँ। राष्ट्रीय महोत्सव के उपलक्ष्य में कार्यक्रम तो मैंने कई संस्थानों में होते देखें हैं लेकिन आप के संस्थान के जैसा आयोजन, देशभक्ति का ऐसा भाव, प्रस्तुतियों में तन्मयता का ऐसा चाव प्रायः कम ही देखने को मिलता है। बहुत बहुत साधुवाद। बहुत शुभकामनाएं। वंदे मातरम। जय हिंद

 

इस लेख गणतंत्र दिवस पर अध्यक्षीय भाषण पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।

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