कहानी सबसे बड़ी भूल – एक शिक्षा देती कहानी

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सिगरेट के कस लेता कुछ ही दूरी पर खड़ा सरस थोड़ी दूर खड़ी जीप में बैठे कांस्टेबलों को इशारा करता है और आनन फानन अजय के साथ बाकी के दो युवकों को घेर लिया जाता है।

अजय कुछ समझ पाता इस से पहले ही उन तीनो को जीप में डाल कर थाने ले जा कर सलाखों के पीछे डाल दिया जाता है।

इसी बीच सरस थाने के एक कांस्टेबल से अर्पिता को अपने घर से थाने लाने के लिये कहता है।

***

अजय अचानक से अर्पिता को थाने में देख कर पहले तो गुस्से से लाल पीला होता है पर बाद में उसे पता चलता है कि इंस्पेक्टर अर्पिता का भाई जैसा है और अर्पिता ने उसके खिलाफ रिर्पोट लिखाई है तो वह धूर्त गिरगिट की तरह अपना रंग बदल कर बार-बार माफी मांगता है और अपने प्यार की दुहाई देता है।

गुस्से से भर कर अर्पिता अजय के गाल पर एक ज़ोरदार थप्पड़ मारती है और कहती है ,’कमीने मैंने तुझ पर विश्वास कर के अपना सब कुछ गँवा दिया और तूने क्या किया? तूँ तो प्यार की बात करने के लायक ही नहीं है।’

‘तूने मुझ पर बहुत अत्याचार किये, और तो और तूने तो मुझे गुंडों को बेच ही डाला था, अगर में सही वक्त पर वहाँ से भाग न पाती तो न जाने मेरी क्या दुर्दशा हो रही होती। तूने मेरा जीवन नर्क बना दिया था, और मेरा सौदा कर के तू मेरी पल-पल की सांसे भी छीनना चाहता था।’

‘सरस तुम इसे इतना टॉर्चर करना की हर पल इस के मुँह से सिर्फ और सिर्फ दया की भीख निकले और ताउम्र जेल में सड़ता रहे ताकि किसी और लड़की का जीवन बर्बाद न कर सके।’

सामने से अपने माता-पिता को देख कर अर्पिता कुछ क्षण के लिए विस्मित हो जाती हैऔर फिर फूट-फूट कर रोने लगती है। माता-पिता भी भीगी-भीगी आँखों से अर्पिता से कहते हैं ‘जिस बेटी को हमने इतने स्नेह से पाला आज ऐसी पीड़ा में, बहुत देर लगाई बेटी तूने ये दुनिया दारी की असलियत जानने में कि जो दायरा माता-पिता अपने बच्चों के लिए तय करते है वह उन के कई वर्षों के अनुभव के आधार पर होता है।’

‘चल बेटी अब तू अपने घर चल, फिर एक नई जंग लड़ने के लिए तैयार हो जा, अभी जो जख्म इस जानवर ने तुझे दिये हैं उससे ज्यादा हमारे आस-पास वाले तुझे तेरे ज़ख्म पर नमक छिडक छिडक कर देंगे, मगर बेटी तू चिंता मत करना, मैं तेरे साथ खड़ा हूँ।’ कहते हुये माता-पिता ने अर्पिता को पने सीने से लगा लिया।

और दोनों हाथ जोड़ कर अर्पिता के माता-पिता ने कहा ‘बेटा सरस तुम्हारा ये उपकार हम पूरे जीवन नहीं भूल पायेंगे। तुम अगर सही वक्त पर अर्पिता को न मिले होते और मदद न की होती तो पता नहीं इसका क्या होता?’

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