कहानी सबसे बड़ी भूल – एक शिक्षा देती कहानी

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अर्पिता मन ही मन सोचती हैं कि मैं सरस को कैसे बताऊंगी
कि मेरे साथ क्या-क्या हुआ? फिर उसी उधेड़बुन में चुपचाप उठ कर तैयार हो कर नाश्ता करती है।

अर्पिता कुछ देर सब कुछ भुला कर आज कई दिनों बाद बिना किसी भय और डर के नाश्ता कर के अच्छा अनुभव करती है।

‘दी आज मैंने थाने से छुट्टी ले ली है, आप मुझे
अपने साथ हुये अत्याचार और घटनायें जितने अच्छे से बताएंगी, मैं आप को उतने ही अच्छे से न्याय दिला पाऊँगा।’ सरस ने बड़े ही प्यार से कहा। सरस के प्रश्न ने उसे वापिस से उसी दु:खद कष्टदायी पीड़ा में एक पल में फिर भेज दिया।

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अर्पिता कुछ क्षणों के लिए सब कुछ भूल चुकी थी लेकिन फिर से घृणा और नफरत के भाव उसके चेहरे पर उतर आये थे।

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‘सरस तुम्हें पता है, यह मेरे जीवन की सबसे बड़ी भूल थी।अगर उसे मैं आज अपनी आख़िरी भूल कहूँ तो कोई बड़ी बात न होगी, क्योंकि अब मुझमें किसी और चुनौती से लड़ने का साहस नहीं रहा। इस की सबसे बड़ी वजह यह है कि मेरे अपनों ने मुझ से सारे संबंध तोड़ लिए है।’

‘इस में उन की कोई गलती भी नही, उन्होंने तो मुझे कॉलेज में एडमीशन दिलाने से पहले ही बहुत सी हिदायत दी थी, सही-गलत का फर्क भी घुट्टी की तरह पिलाया था, मगर मैं मूर्ख ही बावरी हो गई थी सजल की मीठी-मीठी आकर्षित करने वाली बातों में। वह दिखने में बहुत हैंडसम था। मेरे तो साधारण से भी नयन-नक्श भी नहीं थे और ऊपर से मेरा साँवला रंग।’

‘जब अजय और मेरा प्यार परवान चढ़ा तो इस की खबर मेरे पिता जो एक स्कूल प्रिंसिपल हैं, उन तक पहुँच गई और उन्होंने हमारे प्यार का विरोध किया तो मैं और सजल चोरी-छिपे मिलने लगे, जब मेरे माता-पिता ने हमारे प्यार को लेकर और सख़्ती दिखाई तो मैं लड़की के नाम से सजल से फोन पर बात करने लगी।’

‘फिर मैंने और अजय ने ग्वालियर से भाग कर, भोपाल में जा कर शादी कर ली। मैंने पापा को फोन करके बताया पापा मैंने और सजल ने एक मंदिर में शादी कर ली है और हम लोग यहाँ…. पर मेरी पूरी बात सुने बिना ही पापा ने कोध्र में आ कर कड़क स्वर में कहा, सुन आज से इस परिवार से तेरा कुछ भी लेना-देना नहीं है। और जो रिश्ते में तेरी छोटी बहन थी मैं उस का विवाह एक बहुत ही स्मार्ट लड़के और प्रतिष्ठित परिवार में करूँगा जो हमारे बराबरी के खानदान का होगा। हमारे जान-पहचान और रिश्तेदरों में भी दूर-दूर तक हमारे एकलौते दामाद की ही चर्चा होगी। आइंदा से दुबारा फ़ोन मत लगाना।और पापा ने क्रोध में फोन रख दिया।’

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