कहानी सच्चा प्यार – प्यार के रिश्तों की एक अनूठी कहानी

कार बैंग्लो के परिसर में रुक जाती है। ‘अरे गौरी तू कहां खो गई, चल हमारा घर आ गया । गौरी बस एक रात की ही तो बात है तू सुबह हॉस्पिटल जा कर तसल्ली कर लेना।’
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‘अरे राधाताई, देखो तो ज़रा गौरी अभी तक अपने रूम से ब्रेक फ़ास्ट के लिये डाईनिंग टेबल पर क्यों नहीं आयी?’ सुभी ने अपनी मेड से पूछा
‘नहीं मैडम जी, गौरी मैडम जी तो आज बिना नाश्ता किये ही हॉस्पिटल चली गईं और बहुत ही टेंशन में दिख रही थीं।’
‘ओ यह लड़की भी न… जैसे इस के शहर में इसके जानने वाले एक ही डॉक्टर कपल हो, बिना सच जाने ही वे- वजह टेंशन ले लिया। ठीक है मैं उस से वहीं मिल लूंगी।’ शुभि ने कहा।
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गौरी थोड़ी नर्वस हो कर , जहां रिद्धमा एडमिट थी ।उस रूम में पहुँच जाती है। रूम में एकदम शांति होती है । पेशेंट आराम कर रहा है, और कोई भी नहीं है रूम में। गौरी मन में यह सब सोच कर रूम के गेट से ही वापिस जाने लगती है।पर उस का मन नहीं मानता है फिर वह रूम के अंदर जा कर पेशेंट को पास जा कर देखती हैं।
जिस बात का डर था वहीं हुआ। वह एकदम से चौंक कर धीरे से कहती है रिद्धमा!! और दोनों हाथों को अपने ओठों पर रख कर कुछ क्षण यों ही खड़ी रह जाती है।
रिद्धमा की नींद अचानक से टूट जाती है जैसे उसे किसी ने तेज आवाज दे कर जगा दिया हो।
रिद्धमा अचानक से गौरी को अपने बेड के सिराने देख चौंक जाती है। ‘गौरी जी आप को नीरव ने ढूँढ ही लिया है। ‘नहीं रिद्धमा जो डॉक्टर तुम्हारा इलाज कर रही वह मेरी अच्छी दोस्त है और बैंग्लो पाटर्नर भी। जब डाक्टर शुभि ने मेरे शहर और वह भी पति-पत्नी दोनों डॉक्टर है बताया तो यह जान कर मुझे न जाने क्यों एक अजीबोगरीब सी बैचेनी हो गई थी । बस इसीलिए देखने चली आयी थी पर मुझे क्या पता… गौरी की आवाज़ भर्रा गई थी।
‘बस – बस अब कुछ मत कहो, मैं आप से मिलना चाहती थी गौरी जी, और देखिए भगवान का करिश्मा फांसी देने से पहले जेलर भी कैदी की एक आख़िरी इच्छा पूरी करता है।
शायद भगवान भी अपने पास बुलाने से पहले मेरी आख़िरी इच्छा पूरी करना चाहते हैं। इसीलिए आप को उन्होंने खुद- ब खुद मेरे पास भेज दिया।’
गौरी, रिद्धमा के मुँह पर हाथ रखकर दुःखी मन से कहती है ‘रिद्धमा ऐसा मत कहो, तुम्हें अभी बहुत जीना है अपने लिए न सही तो कम-कम नीरव के लिए ही सही। ‘
‘नहीं गौरी जी आप मुझे मत रुकिये, मुझे अभी आप से बहुत सारी बातें करना हैं।’
‘नहीं रिद्धमा आप की सेहत लिए ज्यादा बात करना ठीक नहीं, पहलेआप ठीक हो जाओ फिर हम दोनों जी भर कर बातें करेंगे।’