कहानी सच्चा प्यार – प्यार के रिश्तों की एक अनूठी कहानी

‘एक खुश खबरी है, मेरा सिलेक्सन बैंगलोर के एक अच्छे हॉस्पिटल में हो गया है और मुझे दो दिन बाद ही ज्वाइन करना है। मैं कल की फ्लाइट से ही बैगलोर चली जाऊँगी।’ गौरी दोनों को कुछ कहने का मौंका दिये बिना ही ‘गाइज टेक केयर। गुड वाय, नहीं पता अब हम कब मिलेंगे।’
नीरव के होंठ कुछ कहने के लिए हिलते इससे पहले ही उसकी नज़र रिद्धमा से मिल जाती है और नीरव के लफ्ज़ मुँह में ही रह जाते हैं।
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तीन बर्ष बाद रिद्धमा बैंगलोर की उसी हॉस्पिटल में अपना ब्लड कैंसर का इलाज कराने जाती है। लिफ्ट से फोर्थ फ्लोर पर कैंसर वार्ड में शिफ्ट होने के लिये जाते समय उस की नज़र डॉक्टर गौरी पर पड़ी जो सेकंड फ्लोर पर लिफ्ट का वेट कर रही थी। एकदम आश्चर्य से उसकी आँखे फैल जाती हैं रिद्धमा की क्या वो डॉक्टर गौरी है या मेरा भ्रम है ?’
ऋद्धिमा ने नीरव का हाथ पकड़ कर उसे हिलाया ‘क्या तुम ने भी डॉक्टर गौरी को देखा वो यहीं हैं।’
नीरव थोड़ा अचकचा जाता है ‘क्या ?’
‘हाँ नीरव बस मुझे एक बार गौरी से मिलना है, उनका पता कीजिये।’ नीरव कुछ कहे इस से पहले ही,में डॉक्टर सुभि टीम के साथ रूम में आ जाती हैं।
‘हैलो डॉक्टर रिद्धमा कैसी हो, डॉक्टर ने बड़ी आत्मीयता और मुस्काराकर पूछा। डॉक्टर सुभि ने कुछ टेस्ट लिख कर अपनी टीम को दिये, ये सारे टेस्ट अभी करा लें, सुबह मैं रिपोर्ट चैक करुँगी।’ सुभि सेलफोन पर नम्बर डायल करती रूम से निकलते-निकलते ‘टेक केयर डॉक्टर रिद्धमा और फोन पर बस गौरी मैं कार की ओर ही आ रही हूँ।’ कहकर निकल जाती है।
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‘यार सुभि कितना लेट कर दिया कार का गेट बंद करते हुए पूछा गौरी ने, सुभि ने कहा यार गौरी बहुत ही सीरियस केस आया है, तुझे पता है, वो तेरे शहर कानपुर से हैं। वह अभी एक यंग लेडी ही है।’
गौरी झपकी लेती ‘मुझे बहुत नींद आ रही, मैं तो सीधा बिना कुछ खायें- पिये ही सो जाऊँगी। वैसे भी रात के बारह बज रहे है।’
‘वह भी हमारी तरह एक डॉक्टर है और उस का हसबैंड भी डॉक्टर है।’
गौरी एकदम झटके से ‘क्या-क्या नाम है दोनों का??’
‘मरीज़ का नाम… सॉरी यार ठीक से तो याद नहीं शायद ऋद्धि ऐसा ही कुछ नाम है।
‘प्लीज सुभि ठीक से याद कर के बताओ न मेरा जानना बहुत जरूरी है मेरी दिल की धड़कन तेज हो रही हैं।’ गौरी ने आशंका भरे स्वर में पूछा।
‘गौरी मुझे जैसे ही याद आयेगा मैं तुझे घर पर ही बता दूँगी। डॉक्टर सुभी ने उसका हाथ थपथपाया।
अब गौरी के सामने हज़ार सवाल खड़े हो जाते हैं। और उस का दिमाग सोचने लगता है कि कहीं डॉक्टर रिद्धमा तो नहीं है मरीज डाक्टर नीरव ….नहीं नहीं!!! तुरंत अपने मन को झिड़कती है ऐसा नहीं हो सकता। कभी नहीं ।