कहानी सच्चा प्यार – प्यार के रिश्तों की एक अनूठी कहानी

‘प्लीज ऋद्धिमा मैं आप से एक सवाल पूछना चाहती हूँ। जिस का शायद मैं हक नहीं रखती हूँ। आप मुझे एक पर्सनल साबाल पूछने की परमिशन दें।’
‘पूछिये बताना उचित समझूँगी तो जरूर बताऊँगी।’ ऋद्धिमा ने ठंडे स्वर में कहा।
‘थैंक्यू रिद्धमा ‘ गौरी की आवाज़ निर्णायक हो गई ‘क्या तुम नीरव से सच में प्यार करती हो?
रिद्धमा थोड़ा असहज हो कर ‘पहली ही नज़र में, तभी तो नीरव को अपना जीवनसाथी चुना था। पर मैं प्यार करती थी।’
गौरी आश्चर्य से कहती है ‘करती थी का क्या अर्थ है,? एक अतीत आप के सामने आ गया और नीरव के लिए आप का प्यार खत्म हो गया?’
‘डॉक्टर ऋद्धिमा प्यार तो अक्सर सभी करते हैं l मगर मंजिल सभी को नहीं मिलती है जैसे कि मुझे, बस मैं आप को ये बताने आयी थी कि मैंने तो सारे रिश्ते नीरव से उसी दिन खत्म कर लिए थे जिस दिन वह आप के साथ विवाह के बंधन में बंधा था।
‘पहले मैंने सोचा था की इसी शहर इसी हॉस्पिटल में रह कर जॉब करुँगी मगर तुम्हें विश्वास दिलने और तुम्हारे सुखमय जीवन के लिए यहां से दूर जाने का फैसला किया है।’
आप का इस शहर से दूर जाने से क्या मुझे नीरव का प्यार वापिस मिल जायेगा, जो वह आप से करता है।’ रिद्धमा ने गौरी से दो टूक लहज़े में पूछा ।
गौरी ने कहा ‘मैं तुम और नीरव हम सब एक उच्च वर्ग के पढ़े-लिखे युवा हैं, फिर भी हम सभी अपनी-अपनी कुछ परम्पराओं का सम्मान और उनसे प्यार करते है। सच्चाई यही है कि एक पत्नी ही एक पुरूष का बुरे से बुरे वक्त में जिंदगी के आखिरी पड़ाव तक साथ दे सकती है। ऐसा और कोई औरत नहीं कर सकती, प्रेमिका भी नहीं । वह किसी न किसी मोड़ कमजोर पड़ ही जाएगी’।
थोड़ी दूरी छिपकर गौरी और रिद्धमा की बातें सुन रहा नीरव दोनों के सामने आ जाता है। नीरव के चेहरे पर पश्चाताप के भाव साफ-साफ दिखते हैं। वह कहता है ‘गौरी तुम शायद सही कह रही हो, मैं अपनी भूल सुधारता हूँ, अब से कभी रिद्धमा को शिकायत का मौका नही दूँगा। तुम से ज्यादा प्यार करूँगा।’
‘गौरी आप चाहे तो इसी शहर और हॉस्पिटल में रह कर जॉब कंटीन्यू रख सकती हो। देर से ही सही मैं भी समझ चुका हूं कि प्यार का सिर्फ एक ही रिश्ता नहीं होता है। गौरी अब मैं सिर्फ बिना किसी अपेक्षा तुम्हारा दोस्त बन कर रहूँगा वो भी अगर रिद्धमा को कोई एतराज न हो तो।’
रिद्धमा कुछ क्षण सोच में पड़ गई पर दूसरे ही क्षण गौरी के सेलफोन की आवाज सुन कर चौंक जाती है। गौरी फोन रिसीव करती है। चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है ‘ ओह सर, थैंक्यू।’