कहानी सच्चा प्यार – प्यार के रिश्तों की एक अनूठी कहानी

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गौरी को जाता देख डॉक्टर नीरव एक बुत की तरह खड़ा रह जाता है। मन ही मन सोचता है गौरी आखिर कार करना क्या चाहती है। नीरव का दिमाग कुछ क्षणों के लिए सुन्न हो जाता है। कुछ भी सोचने-समझने की स्थिति में नहीं रहता है।

थोड़ी देर बाद नीरव कहता है ‘ऋद्धिमा, मैं तुम से कुछ कहना चाहता हूँ।

‘पर मुझे कुछ नहीं सुनना है।’

‘तुम्हारा रूठना जायज़ है पर एक बार मेरी बात सुन लो, फिर हम दोनों अपने-अपने रास्ते चुन सकते हैं। ऋद्धिमा मैं मानता हूँ कि तुम ने अपने पिता के आदर्शों के दबाव की वज़ह से शादी की लेकिन इसकी कीमत हम तीन लोगों को चुकानी पड़ रही है। पर मैंने कहीं किसी बुक में पढा था कि लव मैरिज में पहले प्यार होता है पर अरेंज में बाद में। और लव मैरिज से ज्यादा अरेंज मैरीज अधिक सक्सेज रहती है।’

‘बस यही सोच कर मैंने अब तक तुम को अपने पूर्व प्रेम प्रसंग के विषय में कुछ भी नहीं बताया था या यूँ कहूँ कि खुद को समय दे रहा था तुम से प्यार होने का।’ नीरव का स्वर बहुत गंभीर था।

‘नीरव तुम ने सही पढ़ा था किताबों में, लेकिन अरेंज मैरीज से पूर्व दिल में कोई और न बसा हो जैसे कि गौरी तुम्हारे दिल में … ऋद्धिमा ने ताना देते हुये कहा।

‘नीरव तुम नहीं जानते हो, तुम मुझे पहली ही नजर में अच्छे लगे थे।और तुम ने मुझे बातों ही बातों अपनी ओर आकर्षित कर लिया था।

‘कल तक तुम्हारा सच जानने से पहले तक मैं तुम से बहुत प्यार करती थी। मुझे लगा था कि जो मेरे दिल का हाल है वही तुम्हारे दिल भी का होगा। इसीलिए मैंने खुशी – ख़ुशी विवाह के लिए हाँ कर दी थी। पर मुझे क्या पता था कि तुम ने तो अपने पिता के ख़ातिर मुझे से विवाह किया है।’ कहते कहते ऋद्धिमा की आँखे भर आईं।

नीरव के कुछ कहने से पहले ही ऋद्धिमा के मोबाइल की घंटी बजने लगती है। कॉल रिसीव करती है ‘हैलो।’

‘डॉक्टर ऋद्धिमा मैं गौरी, प्लीज न मत कहना शाम को 6 बजे रॉयल रेस्टोरेंट में, सिर्फ एक बार मुझे से मिलने आ जाओ।’

ऋद्धिमा न चाहते हुए भी, ‘ठीक है।’

*****

ऋद्धिमा जैसे ही रेस्टोरेंट के अन्दर पहुँचती है। गौरी खड़े हो कर टेबिल की ओर आने का इशारा करती है। ‘बैठिये रिद्धमा, और वेटर को कुछ स्नैक्स और दो कॉफी का ऑडर देती है।

‘ऋद्धिमा मैं आप से इधर-उधर की बात नहीं करुँगी सीधे मुद्दे पर आती हूँ। नीरव और मैं कभी एक -दूजे के लिए बन चुके थे किंतु वर्तमान व भविष्य आप दोनों का ही है।’

‘पर गौरी जी केबिन में जो मैंने देखा-सुना उसका तो कुछ और ही साउंड था। ‘ ऋद्धिमा ने तंज़ कसते हुये कहा।

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