कहानी सच्चा प्यार – प्यार के रिश्तों की एक अनूठी कहानी

डॉक्टर नीरव भी क्रोध में आकर अच्छा ही हुआ सच रिद्धमा के सामने ख़ुद ब ख़ुद आ गया। ये तो एक न एक दिन होना ही था।’
डाक्टर गौरी ने चिढ़ते हुये कहा ‘अपनी बकबास बंद करो, और मेरे साथ चलो।’
‘कहाँ ?’
डॉक्टर गौरी बिना कुछ कहे सीधा रिसेप्शनिस्ट से पूछती हैं
डॉक्टर ऋद्धिमा का कहाँ हैं?
‘मैम मैंने उन्हें अभी अभी हॉस्पिटल से बाहर जाते देखा है’।
डॉक्टर गौरी ने बिना कुछ कहे फोन रखा और तेज कदमों से हॉस्पिटल से बाहर निकल कर ड्राइवर से कार की चाभी ली और कार स्टार्ट करने लगी। पीछे पीछे आये डॉ नीरव ने हड़बड़ाते हुये पूछा ‘ये क्या कर रही हो ? बिना कुछ कहे गौरी ने नीरव का हाथ खींच कार में ड्राइवर की सीट के पास बिठा लेती हैं और गाड़ी आगें बड़ा देती हैं।
नीरव थोड़ा हैरान हो कर पूछता है ‘गौरी तुम क्या करने वाली हो। मुझे कुछ बताओगी भी, तुम मुझे ये कहाँ ले कर जा रही हो?
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ऋद्धिमा को अचानक वापिस आता देख कर नीरव के पेरेंट्स चौंक जाते हैं ‘बेटी ऋद्धिमा क्या हुआ? इतनी जल्दी वापिस आ गईं, और इतनी उदास क्यों हो। सब ठीक है न?’ उन्होंने प्रश्नों की झड़ी ही लगा दी। लेकिन ऋद्धिमा ने नीरव के माता-पिता की बातों का कोई जबाब न देते हुए तेज कदमों से अपने बेडरूम में जा कर खुद को बंद कर लेती है।
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बिना कुछ जबाब दिये गौरी कार ड्राइव करती है। और सीधा नीरव के घर के सामने रोक देती है।
नीरव हड़बड़ा उठता है ‘ यह तो मेरा घर है।’ लेकिन गौरी कार का गेट तेजी से बंद करती तेज-तेज कदमों से नीरव के घर के अंदर चली जाती है। नीरव के पिता गौरी को आया देखकर आश्चर्य से ‘गौरी बेटा आप? पीछे से नीरव को आता देख कर कुछ समझने की कोशिश करते हुये पूछा ‘सब ठीक तो है। गौरी ने परेशान स्वर में कहा ‘प्लीज मुझे एक मिनिट ऋद्धिमा से मिलने दीजिये।’
नीरव की माँ ऋद्धिमा के रूम की ओर इशारा करती है।
गौरी रुम का गेट खटखटाती है। दरवाजा खुलता है। रिद्धमा गेट पर गौरी को देख कर क्रोध से भर गई लेकिन संभलते हुये ‘आप यहाँ? वैसे मैं इतनी कमजोर हृदय की लड़की नहीं हूँ मैं ठीक हूँ।’
‘क्या मुझे रूम के अंदर आने को नहीं कहोगी।’ बिना कोई प्रतिक्रिया किये गेट से हटकर ऋद्धिमा अपने बेड पर बैठ जाती है। डॉक्टर गौरी भी अन्दर चली जाती है। नीरव घबराया सा रूम में प्रविष्ट करता है।नीरव को देख कर रिद्धमा अपना मुँह टेड़ा कर लेती है।
‘डॉक्टर रिद्धमा जी, मैं आप से रिक्वेस्ट करती हूं आप मुझे से आज शाम 6 बजे रॉयल रेस्टोरेंट में मिलने ज़रूर आयें।बहुत सी बातें क्लियर करनी है आप से। और गौरी जाने लगती है। जाते जाते रुककर ‘सिर्फ ऋद्धिमा जी आप ही आयें।’