कहानी सच्चा प्यार – प्यार के रिश्तों की एक अनूठी कहानी
कहानी सच्चा प्यार – सभी पाठकों को यथायोग्य अभिवादन। मैं रिंकी जैन एक कहानी आप सबके सामने प्रस्तुत कर रही हूँ। आप सभी का स्नेह मिले..
कहानी सच्चा प्यार
‘डॉक्टर नीरव आप मेरे केबिन में क्या कर रहे हैं?’ डॉक्टर गौरी ने कोध्र से धधकती लाल आँखों से देख कर कहा। ‘मैंने आप को कईओं बार कहा है कि आप मेरे केबिन में मुझे मिलने मत आया करें।’
डॉक्टर नीरव ने तड़पती नजरों से कहा ‘डॉक्टर गौरी, तुम मुझ से गैरों की तरह बात करना बंद करो प्लीज़। तुम्हें मेरी तड़प बिल्कुल भी नहीं दिखती है?’
‘मैं तुम्हें अपने सीने से लगाना चाहता हूं। वो प्यारा सा बिना किसी वासना के मधुर स्पर्श फिर से महसूस करना चाहता हूँ। हम छः बर्षों से दिलो जान से प्रेमी तो रहे पर हम दोनों ने अपनी मर्यादा कभी नहीं लांघी।
‘वो मधुर एहसास, वो सुख-दुख के पल जो हम ने छः बर्ष साथ-साथ बिताये वो सब मैं नहीं भूला सकता हूं। गौरी जब से तुम ने मुझ से बात करना, मेरा कॉल भी रिसीव लेना बंद कर दिया है उसी क्षण से मेरा दिन का सुकून रात का चैन छिन गया है।
डॉक्टर गौरी क्रोध भरे स्वर में फिर से कहती हैं ‘प्लीज डॉक्टर नीरव वो सब बातों को भूल जाएं। आप ने अपने पिता के झूठे – बेबुनियाद आदर्शों की वज़ह से मेरा जीवन बर्बाद कर दिया। अब आप एक और इंसान का जीवन बर्बाद न करें।’
‘मैं ने सुना है कि आप की पत्नी डॉक्टर ऋद्धिमा ने कुछ दिनों पहले ही इसी हॉस्पिटल को जॉयन कर लिया है, उन्हें थोड़ी सी भी भनक हमारे पूर्व प्रेम प्रसंग के बारे में लगी तो तीन-तीन लोगों का जीवन कशमकश में फंस जायेगा। सो मिस्टर नीरव आगे से मुझ से सिर्फ एक प्रोफेशनल डॉक्टर की तरह ही पेश आयें।’
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केविन के खुले गेट पर बातों ही बातों में गौरी की नज़र पड़ी तो आँखों से झर-झर गिरते आसुंओं को देख कर आश्चर्य से डॉक्टर गौरी के मुँह से निकल जाता है ‘डॉक्टर ऋद्धिमा आप!!!
गौरी के हाव-भाव देख कर और अचानक से अपनी पत्नी का नाम सुन कर गौरी के तरफ मुँह किये डॉक्टर नीरव चौंक कर खड़े हो जाते हैं और झटके से पीछे मुड़ कर देख कर आश्चर्य से ‘ऋद्धिमा आप इधर?
‘आप इतना चौंक क्यों गये डॉक्टर नीरव, मैं तो इस हॉस्पिटल की जानी मानी गायनोकोलॉजिस्ट डॉक्टर गौरी से अपने एक मरीज के केस के सिलसिले में राय लेने आयी थी । पर मुझे क्या पता था कि मेरे पति भी डॉक्टर गौरी के मरीज निकलेंगे।’ डॉ ऋद्धिमा ने चुभते हुये स्वर में कहा।
डॉक्टर गौरी व नीरव की प्रतिक्रिया जाने वगैर ही डॉक्टर ऋद्धिमा तेज कदमों से हॉस्पिटल से घर चली जाती हैं। डॉक्टर गौरी और भी ज्यादा क्रोध में बरस पड़ती हैं ‘डॉक्टर नीरव ये सारी गलतियाँ तुम्हारी हैं, मैंने तुम्हें उसी दिन मुक्त कर दिया था जिस क्षण तुम्हारे और रिद्धमा के साथ फेरे हुए थे।’