कश्मीर में सैनिकों का थप्पड़ों द्वारा अपमान पर रोष जताती कविता। Poem against army being insulted in Kashmir
गर न भूले आसमान से, ऊंचे उड़े इरादों को
गर न भूले ढेर प्रचारित, छप्पन इंची वादों को।
अगर याद हो सौ करोड़ ने, तुमको शासन सौंपा है
अगर ज्ञात हो हिन्दोस्तां को, तुम पर बड़ा भरोसा है।
जननी जन्मभूमि की अस्मत, हमको जां से प्यारी है
अगर याद हो आंख नोचने, वाली रीत हमारी है।
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तो फिर आज दिखा दो मोदी, जी ये कैसी सुस्ती है
नाज़ुक है ये वक्त प्राण घातक संयम, ये चुप्पी है।
मनहूसों का तर्पण कर दो, हो आदेश चढ़ाई का
रक्तपिपासु रेशा रेशा, केशर वाली क्यारी का।
या फिर माफ़ी मांगें शासन, देखेंगें फिर क्या होगा
दुर्बलता का रोना रो दो, कह दो हमसे न होगा।p
सर्जिकल स्ट्राइक करी तो, मोदक मन मे फूटा था
देश मुदित था हुआ फैसला, भ्रम दशकों का टूटा था।
छुटभैये से पांचसितारा, तक कोई ना छूटा था
खद्दरधारी नेताओं ने, श्रेय लपककर लूटा था।
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खंड उत्तरी यूपी दे दी, चकमक की चिंगारी में
तोप चलाकर देखो हम हैं, भारत की तैयारी में।
दुस्साहस तो देखो इनका, वदन क्रोध से कांप गया
सिंहों के कंधे चढ़ के, पिल्ला गालों को नाप गया।
घाटी के विषधर सुन लो तुम, फरमानों में माफी था
कुत्तों के झुंडों पर वरना, एक शेर ही काफी था।
खैर मनाओ नाफरमानो, किस्मत में कुछ सांसें थीं
एक विफर जाता जो सैनिक, गिद्धों की दावत होती।
छाती फाड़ लहू पी जाते, क्षण में लाश बिछा देते
तरस रही दशकों से घाटी, पल में प्यास बुझा देते।
सहनशीलता और बची है, भारत माँ के लालों में
वरना क्या जुर्रत कुत्तों की, थप्पड़ मारें गालों में।
ये वो सैनिक हैं जिनने खुद, अपना बेड़ागर्क किया
डूब रहे थे नही बचाते, कमजर्फ़ों को गलत किया।
ये सैनिक हैं रुद्र के बेटे, राणा की ललकारें हैं
छत्रपति गोविंद सिंह कीं, दोधारी तलवारें है।
ये हैं भगतसिंह जो दिल मे, हिंदुस्तान समेटे हैं
नेताजी के अंगारे हैं, भारत माँ के बेटे हैं।
है ताकीद ध्यान से सुनलो, जयचंदो की औलादो
सहनशीलता की सीमा भी, होती मौलिक ना लांघो।
ख़ुद निर्णय ले लेगी सेना, तो फिर बच ना पाओगे
वहीं गाड़ देगी ये ज़िंदा, जहाँ पकड़ में आओगे।
ज़न्नत से दोजख की सीढ़ी, उसी घड़ी लग जायेगी
बकरे की अम्मी भी कब तक, आखिर खैर मनायेगी।
वाह्ह्ह…वाह्ह्ह…ओजपूर्ण बहुत सुंदर कविता
पढ़ जोश से भर गया पढ़कर…अप्रतिम रचना अमित जी??????!???
आपका बहुत-बहुत आभार श्वेता जी। आपसे सराहना मिलना पुरुष्कृत होने जैसा है। यूँ ही उत्साह वर्धन करते रहें। ढेर शुक्रिया आपका
आपके सभी लेख अत्यंत उपयोगी हैं। आपका कार्य सराहनीय है
बहुत बहुत शुक्रिया। आभार आपका पूजा जी। सराहना से मन हर्षित है। ऐसे ही उत्साहबर्धन करते रहें।