एंकरिंग शायरी – पार्ट 4, Anchoring shayari, मंच संचालन शायरी
एंकरिंग शायरी – सभी एंकर मित्रों को अमित जैन ‘मौलिक, का यथायोग्य अभिवादन। दोस्तों, एकरिंग शायरी की बहुप्रतिसादित श्रृंखला में प्रस्तुत है एंकरिंग शायरी पार्ट 4 , आशा है कि सदा की तरह आपको यह प्रस्तुति अवश्य पसंद आयेगी।
एंकरिंग शायरी – पार्ट 4
अपना मसीहा और प्रणेता बना लिया
हरदिल अज़ीज़ और चहेता बना लिया
शुभकामनायें दिल से मेरी आप लीजिये
सारे शहर ने आपको नेता बना लिया।
मौसम की बेरुख़ी थी मगर रुत बदल गई
महका गुलाब खार की किस्मत बदल गई
जो आप ना होते तो ये महफ़िल नहीं होती
सोहबत जो आपकी मिली रंगत बदल गई।
घटा की आँख से काजल चुरा के लाया हूँ।
गगन के छोर से बादल चुरा के लाया हूँ
चुरा के लाया समंदर से हसरतों का नशा
मैं आज इश्क़ की महफ़िल चुरा के लाया हूँ।
हर फ़िक्र भूल करके ज़रा मुस्कराईये
हम आयें ज़रा पास-आप पास आइये
गिरने दो आज इश्क़ के दरिया में मेहरबां
कुछ डूब जाने दीजिये कुछ डूब जाइये।
मदमस्त इत्र ले के हवायें मचल गईं
गुलशन की कोर कोर पे शबनम पिघल गई।
लो धूप मिली चाँद से के शाम हो गई
यह शाम सरेआम इश्क़ में बदल गई।
हाथों में लकीरों को बनाकर चले हैं हम
कंधों पे आसमान उठाकर चले हैं हम
कह दे कोई जाकर घनी रातों के तमस को
सूरज हथेलियों पे उगाकर चले हैं हम।
विश्वास ज़रा पास रखोगे तो मज़ा है
आभास दिल मे ख़ास रखोगे तो मज़ा है
वह आसमान ख़ुद ब ख़ुद मुट्ठी में आयेगा
उम्मीद बेहिसाब रखोगे तो मज़ा है।
इतना चले हैं तेज बहुत दूर हो गये
ना जाने कब ये रास्ते गुरुर हो गये
अपनों से हाँथ जबसे छुड़ाकर चले हैं हम
तन्हाइयों में रहने को मजबूर हो गये।
जो दूसरों को सम्मान देना नहीं जानते
कितना भी कर दो एहसान नहीं मानते
ऐसे लोगों से हो सके तो दूर ही रहना
जो इंसान को कभी इंसान नहीं मानते।
ये लफ़्ज़ों के नुकीले तीर हैं, गहरा असर होता
ज़हर चाँदी के प्यालों में, भरो फिर भी ज़हर होता
नज़ाकत से हमेशा पेश, आओ अपनेे लोगों से
अगर घर मे ना हों अपने, तो घर भी घर नहीं होता।
यहीँ मिलतीं दुआयें हैं, यहीं दिल की दवा मिलती
यहीँ पर शाम मिलती है, यहीं नूरे शबा मिलती।
कि हम दिल से सुनायें और, सब श्रोता सुनें दिल से
यहीं पर लोग हैं ऐसे, यहीँ ऐसी सभा मिलती।
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आपकी प्रतिभाशाली लेखनी को नमन अमित जी।शब्द शब्द अमृत रस निसृत हो रहे मानो,अति सराहनीय आपकी अतुलनीय रचना। हर मुक्तक अपने.आप में अनूठा और लाज़वाब है।वाह्ह्ह???
मैं कृतज्ञ हूँ आपका इस तरहा हौसलाअफजाई के लिये। आप की सराहना प्राप्त हुई ऊर्जा मिली। आप जैसे सुधिजन यूँ सराहते हैं तो विश्वास होता है कि कुछ ठीक ठाक लिख लिया। बहुत आभार
Waah…
Bahot khoob likhte hai aap, har bar kuch naya,
yahi vividhta hi aap ko dusron se alag banati hai,
ek alag rang, ek alag dhang…..badhiya hai
जी बहुत बहुत धन्यवाद। आप सब कविगणों से ही सीखता हूँ। जो सीखता हूँ वह दोहराने का प्रयास करता हूँ। आपकी सराहना से बल मिला। उड़ती बात पर आपका ह्रदय से स्वागत है।
हर मुक्तक बढ़िया हैं। बहुत ही सुंदर प्रस्तुति।
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया। बहुत आभार
Kripya Orchestra ki anchoring ke liye naye gano ke description bhej sakte ho kya
आप मेरी पोस्ट संगीत संध्या की मंच संचालन स्क्रिप्ट पढें। धन्यवाद
sir mai to aapka fan ho gya sir aap isi trah likhte rahiye aap jaise logon ke karan hame bahut kuch sikhne ko milta h sir
thank u sir thank u so much
Much love to you dear friend sumit, thank you very much for your precious appreciation..
Tysm sir ji for a beautiful sayri vaki AP bhut accha likhte h ese hi age bdte rhe apni new sayri,kvita k sath tnx sir ji🤗🙏🙏🙏
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय अमित मौलिक जैन साहब जी आपने उड़ती बात नामक जो सोशल मीडिया के माध्यम से जो मंच हम जैसे उभरती प्रतिभाओं को प्रदान किया है आपके इस प्रयास से समूचे समाज के उभरते नवयुवक को उनको एक अपनी उद्घोषक एंकरिंग की प्रतिभा को एक नई दिशा प्रदान की है बहुत ही रोचक प्लेटफार्म है बहुत ही लाभकारी लेख है आपका आपके लेखन ही नहीं मैं आपके लेखनी का आपकी अद्भुत कवि विचारधारा का दीवाना हो गया रे मैं दीवाना हो गया आप यूं ही अपना प्रयास जारी रखें आप समूचे संसार में एंकरिंग की दुनिया में एक अलग ही मुकाम हासिल करेंगे मेरी आपके साथ हृदय से शुभकामनाएं आपका हृदय से बहुत-बहुत धन्यवाद जय जिनेंद्र