Poem on Anti black money day- एन्टी ब्लैक मनी डे के समर्थन में कविता, नोटबन्दी दिवस के समर्थन में कविता

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एन्टी ब्लैक मनी डे – मोदी जी के नोटबन्दी के कारण मची अफ़रातफ़री के कारण विपक्ष बौखलाया हुआ है। हास्यास्पद है कि मोदी गवर्नमेंट द्वारा मनाये जा रहे एन्टी ब्लैक मनी डे के विरोध में विपक्ष द्वारा काला दिवस मनाया जा रहा है। यह कविता इस प्रकार की स्वार्थपरक सियासत का विरोध करती है। 

Poem on Anti black money day एन्टी ब्लैक मनी डे के समर्थन में कविता

एन्टी ब्लैक मनी डे के समर्थन में कविता

अपने काले चिट्ठे लेकर, चेहरा कहाँ छिपाओगे
काला दिवस मनाने वालो, फिर कालिख पुतवाओगे।

दीवाना है दीवाने की, नज़र बहुत ही पैनी है
शायद इसी बात की कुछ, बेईमानों को बैचेनी है।

अफ़रातफ़री मची हुई है, बेईमानों के खेमे में
बदहवास हैं पड़ ना जायें, आंगें बड़े झमेले में।

धुँवा उठा है भभकेंगीं, चिंगारी नभ तक जायेंगीं
बकरों की अम्मायें आखिर, कब तक ख़ैर मनायेंगीं।

देश जानता है सब बातें, किसकी कैसी मंशा है
किसका दिल है कव्वे जैसा, कौन यहाँ पर हंसा है।

बच्चों जैसे ना बहलाओ, हमें पता क्या चोखा है
त्रस्त हो गये करतूतों से, इतना खाया धोखा है।

इक छलांग में चार कदम तो, पीछे जाना पड़ता है
बड़े कड़े परिणाम की ख़ातिर, धैर्य जुटाना पड़ता है।

परिणामों की चीरफाड़, करने का काम तुम्हारा है
देश की ख़ातिर निर्णय लेने, वाला हमको प्यारा है।

शल्य चिकित्सा थी आवश्यक, दशकों रिसते घावों की
करने वाले ने कर दी है, बिन परवाह चुनावों की।

खुशफ़हमी में मत रहना, हम भूल गये घोटालों को
अच्छे से पहचान गये हम, देश लूटने वालों को।

हमेँ याद है राज तुम्हारा, कुनबा था मक्कारों का
अखबारों में रोज़ छपा था, किस्सा भ्रस्टाचारों का।

अभी तो मौलिक लहर उठी है, अभी सुनामी आयेगी
बेनामी संपत्ति के, कानून की आंधी आयेगी।

तिनकों से उड़ने वाले हो, कमर अभी से कस लेना
आंधी आने वाली है, बच सकते हो तो बच लेना।

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Poem on support of
Anti black money day

apne kaale chitthe lekar,
chehraa kahaan chhipaaoge
kaala divas manaane vaalo,
fir kaalikh putuvaaoge.

deevaana hai deevaane ki,
nazar bahut hi painee hai
shaayad isee baat kee kuchh,
beimaanon ko baichainee hai.

afaratafri machee huee hai,
beimaanon ke kheme me
badahvaas hain pad na jaanyen,
aange bade jhamele me.

dhunva utha hai bhabhkengeen
chingaareen nabh tak jaayengeen
bakaron ki ammayen aakhir,
kab tak khair manaayengeen.

desh jaantaa hai sab baaten,
kiskee kaisee mansha hai
kiska dil hai kavve jaisa,
kaun yahaan par hansa hai.

bachchon jaise na bahlaao,
hame kya chokhaa hai
trast ho gaye kartooton se,
Itna khaaya dhokha hai.

ik chalaang me chaar kadam to,
peechhe jaana padta hai
bade kade parinaam kee khaatir,
dhairya jutaana padta hai.

parinaamon kee cheer faad,
Karne ka kaam tumhaara hai
desh ki khaatir nirnay lene,
vaala hamko pyaara hai.

shalya chikitsa avashyak thi,
dashkon riste ghaavon kee
karne vaale ne kar di hai,
bin parvaah chunaawon kee.

khush fahami me mat rahna,
ham bhool gaye ghotaalon ko
achche se pahchaan gaye ham,
desh lootne vaalon ko.

hame yaad hai raaj tumhaara,
kunba tha makkaaron ka
akhbaaron me roz chhapa tha,
kissa bhrastaachaaron ka.

abhi to maulik lahar uthee hai,
abhee sunaamee aayegee
benaamee sampatti ke,
kaanoon kee aandhee aayegee.

tinkon se udne vaale ho,
kamar abhee se kas lena
aandhi aane vaali hai,
bach sakte ho to bach lena.

 

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