देश भक्ति कविता ‘सर्जिकल स्ट्राइक’/ Desh bhakti kavita on ‘Surgical Srike’

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शेरों सी हुंकार हुई है,
तब जा के जयकार हुई 
दुश्मन को जब जब ललकारा,
तब तब उसकी हार हुई 

अब ना कोई रोशनी चाहिये
अब तो सूरज ले लेंगे 
लहरों से भिड़ जायेंगे हम
अंगारों से खेलेंगे 
थर-थर कापेंगा अब दुश्मन
ली हमने अंगड़ाई है 
गला काट देंगे हम छल का
सच की आज लड़ाई है 
वर्षों से हम जीत रहे थे
मनमानी इस बार हुई 
दुश्मन को जब जब ललकारा
तब तब उसकी हार हुई 

कतरा कतरा लहू जोड़कर
बादल एक बनायेंगे 
घर में घुसकर जयचंदों के
हम तेजाब गिरायेगे 
तेज प्रचंड गर्जना सुनकर
अम्बर भी शरमाये हैं 
छाती पर चढ़ तांडव करने
रुद्र के वंशज आये हैं 
सबने माना सबने ठाना
तब तो ये किलकार हुई 
दुश्मन को जब जब ललकारा
तब तब उसकी हार हुई।

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